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अमेरिका ने 2 जून को भारत पर लगाए गए जवाबी टैक्स को 6 महीने के लिए स्थगित करने का फैसला किया है. अमेरिका को उम्मीद है कि वो भारत के डिजिटल टैक्सेशन के मुद्दे पर बहुपक्षीय समाधान खोज लेगा. अमेरिका ने ये एक्शन भारत के उस कदम के बाद लिया था, जिसमें भारत ने ऑनलाइन गुड्स और सर्विस बेचने वाली विदेशी कंपनियों पर डिजिटल टैक्स लगाने की बात कही थी. ये टैक्स उन बिग टैक कंपनियों पर लगता है जिनकी सालाना आय 2 करोड़ से ज्यादा रही है.
भारत ने डिजिटल टैक्स अप्रैल 2020 में लगाया था. बताया गया था कि विदेशी डिजिटल और ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे अमेजॉन, अलीबाबा, फेसबुक, गूगल, ऊबर जैसी कंपनियां सालाना 2 करोड़ से ज्यादा की कमाई करती हैं और ये भारत में इनकम टैक्स नहीं दे रही हैं. ऐसी कंपनियों को दो परसेंट लेवी देनी होगी.
यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रिजेंटेटिव (USTR) के दफ्तर ने कहा- 'इस तरह का टैक्स अमेरिकी कारोबार के प्रति भेदभावपूर्ण है और इसके खिलाफ ट्रेड ऑफ एक्ट 1974 के सेक्शन 301 के तहत कार्रवाई होगी.'
इसके बाद USTR ने भारत समेत 10 देशों पर जांच की. इन देशों ने भी बिग टेक कंपनियों पर डिजिटल टैक्स लगाया था.
यूएस ट्रेड रिप्रिजेंटेटिव ने भारत सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कहा. 5 नवंबर 2020 को इस पर चर्चा हुई. USTR की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत द्वारा लगाया गया डिजिटल टैक्स भेदभावपूर्ण है और अमेरिकी कारोबार में बाधा डालता है.
क्विंट को USTR रिपोर्ट की जानकारी मिली. इस जांच के दौरान जो जानकारी मिली उससे अमेरिकी ट्रेड रिप्रिजेंटेटिव इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि भारत के डिजिटल टैक्सेशन के कानून सही नहीं है. इन पर अमेरिकी ट्रेड एक्ट के सेक्शन 301(b) और 304(a) के तहत कार्रवाई बनती है.
भारत के डिजिटल टैक्स के जवाब में अमेरिका ने कई सारे भारतीय उत्पादों बासमती, सोने, चांदी पर 25% जवाबी टैक्स लगा दिया. इन प्रोडक्ट में बांस के उत्पाद, सिगरेट पेपर, मोती, महंगे पत्थर, गहने और लकड़ी के सामान शामिल थे.
USTR ने बताया कि बिग टेक कंपनियों पर भारत ने करीब $55 मिलियन का टैक्स लगाया है. इसके जवाब में करीब इतनी ही कीमत के जवाबी टैक्स लगाए गए हैं.
अमेरिका ने 2 जून को भारत के खिलाफ लगाए जवाबी टैक्स को स्थगित कर दिया है, ताकि कारोबारी मुद्दों पर दोनों देशों के बीच अगले 6 महीनों तक तनाव कम हो.
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