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क्या डोनाल्ड ट्रंप जाते-जाते सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मदद के मूड में दिख रहे हैं? दरअसल, ट्रंप प्रशासन सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को एक संघीय मुकदमे से छूट देने के अनुरोध पर विचार कर रहा है. मोहम्मद बिन सलमान पर आरोप है कि उन्होंने कनाडा में रहने वाले पूर्व सऊदी खुफिया अधिकारी के मर्डर की कोशिश की थी.
अगर मुकदमे से छूट के अनुरोध को स्वीकार कर लिया जाता है, तो संभावित रूप से प्रिंस क्राउन के खिलाफ बाकी मामलों को खारिज करने के लिए कानूनी आधार प्रदान कर सकती है. खासकर 2018 में सऊदी के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का आरोप का मामला भी शामिल है.
डॉक्टर जबरी करीब 3 साल पहले निर्वासन में सऊदी अरब छोड़कर कनाडा चले गए थे. इसके बाद वह निजी सुरक्षा में टोरंटो में रहते हैं.
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि विदेश विभाग यह सुझाव देगा कि इस मामले में प्रतिरक्षा प्रदान की जाए या क्या 20 जनवरी को राष्ट्रपति ट्रंप के ऑफिस छोड़ने से पहले यह फैसला किया जाएगा. बता दें कि ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर प्रिंस मोहम्मद का समर्थन किया है. हालांकि नए एलक्टेड राष्ट्रपति जो बाइडेन सऊदी अरब की आलोचना में मुखर रहे हैं. उन्होंने यमन में चल रहे युद्ध के लिए सऊदी अरब का समर्थन समाप्त करने की बात कही है और कहा है कि अमेरिका "केवल तेल खरीदने या हथियार बेचने के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगा."
साल 2018 के अक्टूबर महीने में पत्रकार जमाल खशोगी की तुर्की के शहर इंस्ताबुल में सऊदी दूतावास के अंदर हत्या की थी. वॉशिंगटन पोस्ट के कॉलमनिस्ट खशोगी 2 अक्टूबर 2018 को अपनी शादी के सिलसिले में जरूरी दस्तावेज लेने के लिए इंस्ताबुल स्थित सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास गए थे. इसके बाद उनका पता नहीं चल पाया था. तब कहा जा रहा था कि सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की नीतियों की आलोचना करने की वजह से उनकी हत्या की गई.
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