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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर की मध्यस्थता को लेकर एक बार फिर बयान दिया है. उन्होंने 1 अगस्त को कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान चाहेंगे तो वह कश्मीर मामले में हस्तक्षेप करने को तैयार हैं.
वहीं भारत ने एक बार फिर अमेरिका के सामने कश्मीर के मुद्दे पर अपना रुख साफ कर दिया है. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2 अगस्त को ट्वीट कर कहा, ''मैंने आज सुबह अमेरिकी समकक्ष माइक पोम्पियो को स्पष्ट तरीके से बता दिया कि कश्मीर पर किसी भी तरह की बातचीत द्विपक्षीय रूप से पाकिस्तान के साथ ही होगी.''
जब ट्रंप से भारत द्वारा कश्मीर की मध्यस्थता का प्रस्ताव ना स्वीकारे जाने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘’यह (कश्मीर की मध्यस्थता का प्रस्ताव स्वीकार करना) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर है.’’
बता दें कि ट्रंप ने 22 जुलाई को दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को कहा था. अमेरिकी राष्ट्रपति का दावा था कि पीएम मोदी और उन्होंने पिछले महीने जापान के ओसाका में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की थी, जहां पीएम मोदी ने उन्हें कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की पेशकश की थी. हालांकि भारत ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया था, वहीं पाकिस्तान ने उनके बयान का स्वागत किया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 22 जुलाई को कहा था, ''मैं दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था और हमने इस विषय (कश्मीर) पर बात की थी. उन्होंने वास्तव में कहा, ‘क्या आप मध्यस्थ बनना चाहेंगे?’ मैंने कहा, ‘कहां?’ (मोदी ने कहा) ‘‘कश्मीर.''
इसके अलावा ट्रंप ने कहा था कि अगर दोनों देश (भारत और पाकिस्तान) कहेंगे तो वह मदद के लिए तैयार हैं. उन्होंने ओवल ऑफिस में इमरान खान के साथ अपनी बैठक के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, ''अगर मैं मदद कर सकता हूं, तो मैं एक मध्यस्थ होना पसंद करूंगा. अगर मैं मदद करने के लिए कुछ भी कर सकता हूं, तो मुझे बताएं.’’
भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के दावे को खारिज किया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर कहा था
इसके साथ ही रवीश कुमार ने कहा था, ‘‘भारत का लगातार यही रुख रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय चर्चा होगी. पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत के लिए सीमापार आतंकवाद पर रोक जरूरी होगी. भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दों के समाधान के लिए शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र का पालन ही आधार होगा.’’
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