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दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना के कहर से घिरे देश का नाम अमेरिका है. लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप अजीबो-गरीब बयान दे रहे हैं. वह कभी-कभी इस महामारी के बीच व्यंग भी कसते नजर आ रहे हैं. कभी ट्रंप सुझाव देते हैं कि कीटाणुनाशकों को शरीर में इंजेक्ट करने से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है. तो कभी मलेरिया के इलाज में काम आने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के लिए भारत को चेतावनी देने पर उतर आते हैं.
लेकिन ट्रंप के ऐसे बयानों के बीच अब ‘फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर ऑफ अमेरिका (FDA)‘ ने कोरोना वायरस के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और क्लोरोक्विन के इस्तेमाल पर गंभीर चेतावनी दी है.
FDA का कहना है कि इन दवाइयों के उपयोग से मरीज को दिल से संबंधी जानलेवा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
गुरुवार को राष्ट्रपति की प्रेस कान्फ्रेंस में कोरोनावायरस टास्क फोर्स ने एक प्रेजेंटेशन देकर इस बात की जानकारी दी कि कोविड-19 सूरज की रोशनी में सिर्फ दो मिनट ही जिंदा रह पाता है. अमेरिका में होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के टेक्नोलॉजी डायरेक्टोरेट के प्रमुख बिल ब्रायन ने अपने प्रेजेंटेशन में कहा कि आइसोप्रोपिल एल्कोहल इस वायरस को और तेजी से खत्म कर सकता है. ब्लीच और आइसोप्रोपिल एल्कोहल से कोरोना वायरस पांच मिनट में मर जाता है और एल्कोहल से 30 सेकेंड में ही इसकी मौत हो जाती है.
फिर क्या था प्रेजेंटेशन पर उत्साहित होकर ट्रंप ने बिल ब्रायन को देखते हुए कह दिया कि इस मामले में और रिसर्च हो सकती है. ट्रंप यहीं नहीं रुके, उन्होंने ब्रायन से कहा,
ट्रंप ने ये भी सलाह दे डाली कि अगर डिसइंफेक्टेंट को इंसानों में इंजेक्ट कर दिया जाए, तो ये एक मिनट में खत्म हो सकता है . इसकी जांच करना भी दिलचस्प हो सकता है. हालांकि ट्रंप ने खुद माना कि वो डॉक्टर नहीं हैं.
इसके बाद ट्रंप ने अपनी प्रेस वार्ता के दौरान वहां मौजूद कोरोना वायरस टास्क फोर्स की कोऑर्डिनेटर डॉक्टर बिर्क्स की तरफ देखते हुए कहा कि मेरे ख्याल से आप लोगों ने अभी तक इसे टेस्ट नहीं किया, लेकिन आप ऐसा कर सकते हैं. जवाब में बिर्क्स ने कहा, इलाज के रूप में यह संभव नहीं है.
ट्रंप के इस सुझाव पर उनकी काफी आलोचना हुई, जिसके बाद अब ट्रंप कीटाणुनाशक इंजेक्शन लगाने वाले बयान से पलट गए हैं. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पत्रकारों से मजाक में सिर्फ एक सवाल पूछा था. उन्हें जवाब में क्या पलटकर बोला जाता है, इसमें दिलचस्पी थी.
हाल ही में अमेरिका ने भारत को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवाईयों के लिए बड़ा ऑर्डर दिया था. हालांकि इससे पहले मार्च में भारत ने इस दवाई के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन इस बीच ट्रंप ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति न होने की सूरत में बदले की कार्रवाई के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा था कि,
बता दें कि हॉइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत है. जब भारत दवा देने को राजी हो गया, तब अगले ही दिन ट्रंप के सुर बदल गए. ट्रंप ने मोदी के तारीफ में कसीदे पढ़े और उन्हें महान बताया.
अमेरिका में इस वायरस से लड़ने और रोकथाम पर ध्यान देने की बजाए राष्ट्रपति ट्रंप डब्ल्यूएचओ से भिड़ गए और उसकी फंडिंग रोकने तक का फैसला ले लिया. ट्रंप ने WHO पर चीन केंद्रित होने और कोरोना वायरस के खतरे को ठीक से हैंडल न कर पाने का आरोप लगाया.
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