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ट्विटर (Twitter) के नए मालिक एलन मस्क (Elon Musk) ने अब इस सोशल मीडिया कंपनी के सीईओ पराग अग्रवाल (Parag Agrawal) के बाद अपना नया टारगेट तय कर लिया है. उनका नया शिकार भी भारतीय मूल का ही है. मस्क ने ट्विटर की लीगल, पॉलिसी और सेफ्टी इश्यूज विंग की हेड विजया गाड्डे (Vijaya Gadde) केा निशाने पर लिया है. एक ट्वीट का रिप्लाई देते हुए मस्क ने एक न्यूज ऑर्गेनाइजेशन का अकाउंट सस्पेंड करने के लिए विजया गाड्डे की आलोचना करते हुए उनके एक्शन को बेहद अनुचित बताया. ऐसी चर्चाएं तेजी से चल रही हैं कि वह विजया गाड्डे को बर्खास्त कर सकते हैं.
विजया गाड्डे ही वह महिला हैं जिन्होंने यूएस कैपिटल दंगों के बाद डोनाल्ड ट्रम्प के ट्विटर अकाउंट को निलंबित करने का फैसला किया था. 9 जनवरी, 2021 को खुद विजया ने ट्वीट किया था कि ”भविष्य में आगे कोई ऐसी हिंसा न हो. इसी को ध्यान में रखते हुए डोनाल्ड ट्रंप का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है.
विजया गाड्डे की उम्र अभी 47 साल है और वह तीन साल की उम्र में अपने पैरेंट्स के साथ अमेरिका आईं. उनकी परवरिश टेक्सास में हुई. उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बैचलर्स और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से वकालत की पढ़ाई पूरी की. ट्विटर जॉइन करने से पहले उन्होंने 10 साल तक ‘सिलिकॉन वैली टेक्नोलॉजी फर्म ज्यूपिटर नेटवर्क्स’ में काम किया.
2011 में उन्होंने ट्विटर जॉइन किया. पेशे से वह वकील हैं. ट्विटर में उनके जिम्मे पॉलिसी, लीगल और सुरक्षा नीति जैसे विभाग हैं. प्रति वर्ष लगभग $17 मिलियन का पैकेज उन्हें ट्विटर से मिलता है. वह इस माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट कंपनी में सबसे अच्छे पेमेंट पाने वाले अधिकारियों में से एक हैं. विजया इससे पहले ट्विटर की लीगल डायरेक्टर रह चुकी हैं. विजया गड्डे की कंपनी में इतनी मजबूत पकड़ है कि उन्हें ट्विटर का 'मॉरल अथॉरिटी' बताया जाता है.
ट्रंप कैंप की ओर से तब विजया पर हमला बोला गया था कि डॉर्सी तो सिर्फ कंपनी का मुखौटा भर हैं मगर स्ट्रैटजी व रूल्स के सभी डिसीजन विजया ही लेती हैं. 2014 में फॉर्च्यून ने उन्हें ट्विटर की मोस्ट पाॅवरफुल वुमन करार दिया था.
विजया गाड्डे ने ट्विटर पर दुष्प्रचार को कम करने के लिए कई सख्त कदम उठाए. 2020 के अमेरिकी चुनाव में राजनीतिक दलों के विज्ञापन ट्विटर पर प्रचारित नहीं करने का डिसीजन उन्हीं का था. हाल ही मे छिड़े रूस-यूक्रेन युद्ध में उन्होंने रूसी मीडिया के ट्वीट को फैक्ट चेक का लेबल लगाने का फैसला लिया.
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बेटे हंटर बाइडेन के लैपटॉप से जुड़ी एक स्टोरी की वजह से न्यूयॉर्क पोस्ट के अकाउंट को सस्पेंड कर दिया गया था. कहा जा रहा है कि पहले के अन्य कड़े फैसलों की तरह से यह फैसला भी विजया गाड्डे ने लिया. इस मामले को उछालते हुए भारतीय अमेरिकी कंजरवेटिव सागर एनजेती ने एलन मस्क को टैग करते हुए विजया रेड्डी की शिकायत वाला एक ट्वीट कर दिया. एलन मस्क तो जैसे बैठे ही इस मौके की तलाश में थे. उन्होंने इस ट्वीट का रिप्लाई करते हुए लिखा, 'एक सही स्टोरी पब्लिश करने की वजह से इतने बड़े मीडिया ऑर्गनाइजेशन का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड करना बेहद गलत है।' मस्क ने विजया गाड्डे का सीधे नाम तो नहीं लिया लेकिन हमला सीधे विजया गाड्डे पर ही था.
IBtimes की रिपोर्ट के मुताबिक विजया खुद कानून की तगड़ी जानकार हैं, उनसे पीछा छुड़ाना मस्क को सस्ता नहीं पड़ने वाला है. अगर कंपनी उन्हें निकालती है, तो Twitter को उन्हें एग्जिट पैकेज के तौर पर 1.24 करोड़ डॉलर (लगभग 94.89 करोड़ रुपये) देने होंगे.
विजया 2018 में भारत आई थीं. उस वक्त ट्विटर के फाउंडर और सीईओ जैक डॉर्सी भी उनके साथ आए थे. यह पूरी टीम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिली थी.
इस यात्रा पर एक विवाद भी खड़ा हो गया था. जब ये लोग कुछ महिला पत्रकारों, एक्टिविस्ट्स से मिल रहे थे तो उस समय किसी दलित एक्टिविस्ट ने डॉर्सी के हाथ में एक प्लेकार्ड पकड़ा दिया था, जिसपर लिखा था 'Smash Brahminical patriarchy'. ट्विटर की टीम के हाथ में इस प्लेकार्ड की तस्वीर वायरल होने लगी और इस पर बवाल मच गया.
खुद विजया गाड्डे को ट्विटर पर इसके लिए माफी मांगनी पड़ी थी. उन्होंने ट्वीट किया, 'हमें प्लेकार्ड का जो गिफ्ट दिया गया, वह हमारे विचारों काे नहीं दर्शाता. हमने उसके साथ एक निजी तस्वीर लेने से पहले थोड़ा और सोचना चाहिए था. मैं इसके लिए बेहद दुखी हूं.'
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