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आखिर फेसबुक,ट्विटर,गूगल से अमेरिकी संसद में क्यों होगा सवाल-जवाब?

5 सितंबर को फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अधिकारियों की पेशी अमेरिकी संसद में होनी है.

अभय कुमार सिंह
दुनिया
Updated:
(फोटो: Reuters)
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(फोटो: Reuters)
आखिर क्यों फेसबुक,ट्विटर,गूगल से अमेरिकी संसद में होगा सवाल-जवाब?

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5 सितंबर को फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसे दिग्गज टेक कंपनियों के अधिकारियों की पेशी अमेरिकी संसद में होनी है. फेसबुक के सीईओ शेरिल सैंडबर्ग, ट्विटर के सीईओ जैक डॉरसी 'यूएस सीनेट की इंटेलिजेंस कमेटी' के सामने अमेरिकी चुनाव में रूसी दखल पर सवालों के जवाब देंगे. गूगल के सीईओ को भी पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन वो आएंगे या नहीं, इस पर अभी कुछ साफ नहीं है.

क्यों हो रही है ये पेशी?

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही अमेरिकी चुनाव में रूसी दखल के आरोप लगते रहे हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आरोप है कि इनके जरिए फेक न्यूज, हेट स्पीच और दूसरे रूसी कंटेंट दूसरी जानकारियों की तुलना में यूजर्स के पास अधिक पहुंची हैं. रूसी इंटरनेट रिसर्च एजेंसी (IRA) और दो दूसरी कंपनियों पर सोशल मीडिया के जरिए साजिश रचने के आरोप हैं.ऐसे में अमेरिकी संसद इन आरोपों से जुड़े सवाल ट्विटर, फेसबुक और गूगल से पूछना चाहती है.

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही अमेरिकी चुनाव में रूसी दखल के आरोप लगते रहे हैं. फोटो : रॉयटर्स 
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इस वक्त ही पेशी क्यों हो रही है?

अमेरिका में नवंबर में मिड टर्म इलेक्शन होने जा रहे हैं. इससे पहले दुनियाभर में डेटा प्राइवेसी या सेंसरशि‍प बड़ा मुद्दा बन गया है. इसी साल मार्च में फेसबुक के 5 करोड़ यूजर्स का डेटा चोरी होने का मामला सामने आया था, जिसके बाद फेसबुक को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी पड़ी थी.

अमेरिकी संसद में भी मार्क जकरबर्ग की पेशी हुई थी. यूएस सीनेट पर दबाव है कि मिड टर्म इलेक्शन में ऐसा कोई मामला नहीं उठे.फोटो: रॉयटर्स

अमेरिकी संसद में भी मार्क जकरबर्ग की पेशी हुई थी. यूएस सीनेट पर दबाव है कि मिड टर्म इलेक्शन में ऐसा कोई मामला नहीं उठे.सीनेट ये भी जानना चाहती है कि आने वाले चुनाव में डेटा चोरी और दूसरी ऑनलाइन धांधली से बचने के लिए ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म क्या कदम उठा रही हैं.

आरोपों से जुड़ा अभी तक क्या हासिल हुआ?

ट्रंप अमेरिकी चुनाव में रूसी दखल के आरोपों को खारिज कर चुके हैं. लेकिन पिछले साल जब ये मुद्दा गरमाया था, उस वक्त फेसबुक, ट्विटर और गूगल ने कुछ आंकड़े जारी किए थे, जिनमें रूसी दखल की बात सामने आ रही थी. उस वक्त जारी ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक के 12.6 करोड़ यूजर्स ने रूसी ऑपरेटरों की बनाई गई और एडवरटाइज कंटेट को देखा था. गूगल ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा था कि उसे रूस से जुड़े 1,108 वीडियो मिल चुके हैं. वहीं ट्विटर का कहना था उसने रूसी ऑपरेटरों के कंट्रोल वाले 2,752 अकाउंट और 36,000 से अधिक बॉट्स की पहचान की, जिन्होंने चुनाव के दौरान 14 लाख बार ट्वीट किया गया था.

अप्रैल में फेसबुक ने इंटरनेट रिसर्च एजेंसी (आईआरए) नाम के एक रूसी संगठन के 270 पेज और अकाउंट ब्‍लॉक कर दिए थे, इसकी जानकारी फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग ने खुद दी थी.

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Published: 04 Sep 2018,06:23 PM IST

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