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भीषण गर्मी से भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई दूसरे देश भी जूझ रहे हैं. शुक्रवार को फ्रांस के इतिहास में पारा पहली बार 45 डिग्री पार चला गया. फ्रांस की मौसम एजेंसी स्टेट वेदर फोरकास्ट मीडिया ने बताया कि यूरोप इस समय भयंकर गर्मी और लू से जूझ रहा है.
फ्रांस के दक्षिण में विलेविएइल में 45.1 डिग्री सेल्सियस तापमान मापा गया. फ्रांस की मीडिया ने बताया कि इससे पहले अधिकतम तापमान का रिकॉर्ड 44.1 डिग्री सेल्सियस था, जो साल 2003 के अगस्त महीने में इसी क्षेत्र में दर्ज किया गया था. फ्रांस में पहली बार गरमी को लेकर "रेड अलर्ट" जारी किया गया है.
फ्रांस में गरमी का आलम ये है कि लोगों को लू से बचाने के लिए सड़कों पर जगह-जगह पानी के फव्वारे लगाए गए हैं. बेघर लोगों को मौत से बचाने के लिए पानी मुहैया कराया जा रहा है. फ्रांस के चार बड़े शहरों में पुरानी कारों को सड़कों पर बैन कर दिया गया है. इसके अलावा 4,000 से ज्यादा स्कूलों को बंद कर दिया गया है.
पेरिस के पास कोलंबस में विक्टर ह्यूगो प्राइमरी स्कूल में टीचर्स ने गरमी की वजह से बेहाल बच्चों को पूरे दिन क्लास रूम से बाहर पानी में रखा. बच्चों के लिए पानी की फुहारों के नीचे गेम एक्टिविटी कराई गई ताकि उन्हें गरमी से बचाया जा सके.
यूरोप को लो टेम्परेट जोन माना जाता है. यहां 40 डिग्री से ज्यादा टेंपरेचर को लोगों के लिए झुलसाने वाला है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यूरोप में बढ़ते तापमान की वजह अफ्रीका की ओर से आ रही गर्म हवाएं हैं.
बीते दिनों बर्लिन में 36 डिग्री, वियना में 35 डिग्री, वारसॉ (पोलैंड) में 34 डिग्री और पेरिस में 30 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.
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