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भारत के कोरोना संकट ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. भारत की चिंताजनक स्थिति की खबर को पूरे इंटरनेशनल मीडिया ने प्रमुखता से जगह दी है. भारत में अब रोज संक्रमित होते लोगों के आंकड़े चार लाख के करीब जाने वाले हैं और हर दिन 3500 से ज्यादा लोगों की जान जा रही है, ऐसे में सीएनए से लेकर वॉशिंगटन पोस्ट तक ने भारत सरकार पर सवाल उठाए हैं.
24 अप्रैल को द वाशिंगटन पोस्ट के एडिटोरियल बोर्ड ने ओपिनियन पीस में लिखा कि भारत में भयानक महामारी की नयी लहर जितना टालने योग्य थी, उतनी ही दुखद . इसका कारण है प्रतिबंधों को जल्दबाजी में शिथिल कर देना.दसों हजार की भीड़ को क्रिकेट स्टेडियम में जाने की छूट दी गई, मूवी हॉल खोल दिए गए और सरकार ने कुंभ मेले जैसे विशाल धार्मिक भीड़ को इकट्ठा होने दिया.इसके अलावा भारत में 4 राज्य और एक केंद्र शासित क्षेत्र में चुनाव भी कराएं गये
29 अप्रैल को 'भारत का कोविड संकट विश्व की समस्या है' नामक आलेख में CNN ने कहा कि जब अमेरिकाऔर UK में वैक्सीनेटेड लोग अपने परिजनों से गले मिल रहे हैं, तब भारत में लोग अपने परिजनों की लाशें गिन रहे हैं .बीमार लोगों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल रहा क्योंकि वहां पर बेड्स और ऑक्सीजन की किल्लत है. विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक होने के बावजूद भारत के पास अपनी जनसंख्या को वैक्सिनेट करने के लिए पर्याप्त वैक्सीन नहीं है .
CNN की पत्रकार Christian Amanpour के साथ बातचीत में बीजेपी के प्रवक्ता नरेंद्र तनेजा ने यह स्वीकार किया की कोविड-19 के भयानक दूसरे लहर के लिए जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार की है.
23 अप्रैल के संपादकीय में द गार्जियन ने लिखा कि मार्च की शुरुआत में नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार ने यह दावा किया कि देश अब कोविड-19 से पार पाने वाला है .लेकिन आज भारत जीता जागता नर्क है. डॉनल्ड ट्रंप की तरह ही मोदी ने महामारी के बीच पॉलिटिकल कैंपेनिंग को नहीं रोका .
द गार्जियन के एक एनालिसिस पीस में लेखक Peter Beaumont ने लिखा कि संभवतः सामाजिक व्यवहार, भारत का कमजोर स्वास्थ्य तंत्र और पॉलिसी निर्णयों ने यह स्थिति बनाई है.
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक आलेख में लिखा कि भारत सरकार के गलत कदम और आत्म संतुष्टि ने कोविड संकट को और विकराल बना दिया है. महामारी विशेषज्ञों के अनुसार अगर भारत इस महामारी को रोकने में असफल रहा तो इसके परिणाम वैश्विक होंगे .
फाइनेंसियल टाइम्स में ओपिनियन पीस लिखते हुए जरीर उदवादिया ने लिखा कि जनवरी में मिले वक्त का वैक्सीन सप्लाई बढ़ाने, ऑक्सीजन प्लांट को लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग-मास्क की महत्ता को लोगों को समझाने की जगह भारत ने पांच राज्यों में बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियां निकाली और कुंभ मेले का आयोजन किया, जिसमें 35 लाख श्रद्धालु शामिल हुए.
ग्लोबल टाइम्स स्तंभकार वेन शेंग ने लिखा कि भारत ने कोरोना केस में कमी के बाद शिथिल होकर बड़ी गलती की है . अब ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने यह चेतावनी दी है कि कोरोनावायरस प्रसार के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार और दूर हो जाएगा.
उन्होंने लिखा कि फरवरी 2021 में जब हर दिन संक्रमित होते लोगों की संख्या 10 हजार से नीचे आ गई तो नई दिल्ली के नेता-अफसर एक दूसरे को बधाई देने लगे और जश्न मनाने लगे .वह शिथिल हो गए और 130 करोड़ आबादी वाले देश के लोगों ने मास्क पहनने और सामाजिक दूरी के नियम को नजरअंदाज कर दिया.
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