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NSG पर चीन का जवाब- कोशिश करो मन से, बाहर निकलो 62 की जंग से

चीन सरकार के मुखपत्र में संपादकीय, भारतीय जनता सियोल मीटिंग में एनएसजी पर हुए फैसले को पचा नहीं पा रही है.

द क्विंट
दुनिया
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग(फोटो: एपी)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग(फोटो: एपी)
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एनएसजी में भारत की एंट्री रोकने की कोशिशों पर भारत में चीन की खूब खिंचाई हो रही है. इस पर चीन के डेली अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भारत को सलाह दी है कि वह चीन को दोष देने की जगह उन बेहतर तरीकों की खोज करे, जिनसे वो एनएसजी में जगह पा सके.

चीन की सरकार के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में कहा गया कि भारत को चीन को बेहतर तरीके से अपने पक्ष में करने की कोशिश करनी चाहिए.

भारत में कुछ लोगों को लगता है कि चीन भारत के विकास में रोड़ा बनता है. अभी भी देश के बहुत सारे लोग 60 के दशक में हुई जंग के साए में जी रहे हैं. 

‘भारत-चीन मिलकर कर सकते हैं करिश्‍मा’

यह टिप्पणी पिछले दिनों एनएसजी में चीन द्वारा भारत के विरोध के बाद चीन की खिंचाई होने पर की गई है. संपादकीय में कहा गया कि लगता है कि भारतीय जनता सियोल मीटिंग में एनएसजी पर हुए फैसले को पचा नहीं पा रही है.

वैसे चीन भारत को राजनीतिक दृष्टि से ज्यादा आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानता है. संपादकीय में कहा गया है कि भारत और चीन समान हितों पर विकास के काम करते हुए दुनिया में एक नया ध्रुव बनाकर यह शताब्दी एशियाई देशों के नाम कर सकते हैं. भारत का आर्थिक विकास चीन से इसके संबंधों में निर्णायक भूमिका निभा सकता है.

एनएसजी सदस्यता के लिए किसी भी देश का एनपीटी पर हस्ताक्षर करना जरूरी होता है, वहीं यदि सारे 48 देश भारत का समर्थन कर देते, तो अपवाद  के तौर पर भारत को शामिल किया जा सकता था. लेकिन चीन और अन्य कुछ सदस्य देशों को इस पर आपत्ति थी.

संपादकीय में कहा गया कि भारत को चीन को बदनाम करने की जगह इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कैसे वह दुनिया के दूसरे देशों का भरोसा जीते.

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