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बीते दो सालों में मौसम में कुछ ज्यादा ही बदलाव हुआ. भारत में कहीं मानसून में गिरावट आई, कहीं अनियमित बारिश तो कहीं सूखा पड़ गया. मौसम के इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह अलनीनो बताई गई. इससे फसल बर्बाद हुई और खाने की कमी हुई. बहरहाल, अब सूखे की मार झेल रहे किसानों और देशवासियों के लिए एक अच्छी खबर है.
दरअसल, मौसम में बदलाव की वजह रहा ‘अलनीनो’ अब खत्म हो रहा है. इसकी पुष्टि अब ऑस्ट्रेलिया के मौसम विभाग ने भी कर दी है.
ऑस्ट्रेलियन मौसम विभाग ने कहा कि साल 2015 में जो मौसम में अलनीनो के संकेत नजर आ रहे थे, अब वह सामान्य हो चुका है. अलनीनो की वजह से समुद्री सतह का तापमान बढ़ा. जिससे एशिया और पूर्वी अफ्रीका में प्रचण्ड गर्मी पड़ी. लेकिन वहीं दक्षिण अमेरिका में बाढ़ के हालात पैदा हो गए.
पिछले 19 सालों में अलनीनो की वजह से मौसम के तापमान पर सबसे ज्यादा असर पड़ा. इसका नतीजा यह रहा कि तापमान औसत से ज्यादा हो गया. इसलिए एशिया में गेंहू, ताड़ के तेल और चावल के उत्पादन में भारी कमी आई.
अलनीनो के प्रभाव से मौसम उथल-पुथल हुआ. कहीं ज्यादा गर्मी तो कहीं ज्यादा बारिश हुई. मानसून में कमी आई. लेकिन अब अलनीनो की जगह ‘ला नीनो’ ले सकता है, जिससे मानसून में बढ़ोत्तरी की संभावना बढ़ जाएगी.
साउथ एशियन क्लाईमेट आउटलुक फोरम पहले ही भारत के कई हिस्सों में औसत से ज्यादा मानसून रहने की भविष्यवाणी कर चुका है.
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