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पाकिस्तानी महिला अधिकार कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की उम्मीदों का नया चेहरा बनकर उभरी हैं. इस्माइल फिलहाल अमेरिका में हैं, जहां उन्होंने राजनीतिक शरण मांगी है.
27 सितंबर को इस्माइल न्यूयॉर्क की व्यस्त सड़कों पर पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की हालत पर आवाज उठाती दिखीं.
इस्माइल ने बताया, ''आतंकवाद के खात्मे के नाम पर निर्दोष पश्तूनों को मारा गया है. हजारों लोग पाकिस्तानी सेना के टॉर्चर सेल में हैं.'' इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''हमारी मांग है कि पाकिस्तानी सेना मानवाधिकार का उल्लंघन तुरंत बंद करे. वो टॉर्चर सेल में बंद लोगों को तुरंत रिहा करे. मगर हम उनके खिलाफ आवाज उठाते हैं तो हमें आतंकवाद का आरोपी बना दिया जाता है. खैबर पख्तूनख्वा प्रोविंस में पाकिस्तानी सेना की तानाशाही है.''
इस्माइल का कहना है कि उन्हें अपने परिवार और उस 'अंडरग्राउंड नेटवर्क' की चिंता है, जिसने पाकिस्तान से बचकर निकलने में उनकी मदद की. इस्माइल ने बताया, ''पाकिस्तानी प्रशासन ने मेरे खिलाफ अपनी मशीनरी को लगा दिया था, जिससे वो मेरी आवाज दबा सकें और मुझ पर टॉर्चर कर सकें. उन्होंने मेरे परिवार पर दबाव डाला ताकि वो मेरे खिलाफ खड़ा हो जाए. हालांकि, इस सब के बावजूद मेरा पूरा परिवार मेरे साथ खड़ा रहा. उन्होंने मेरे पिता और मेरी मां पर झूठे आरोप लगा दिए.''
इस्माइल ने कुछ दिनों पहले अफगानी पत्रकार बशीर अहमद के साथ एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि वह करीब 6 महीने तक पाकिस्तान में छिप रही थीं, इसके बाद अमेरिका पहुंचने से पहले वह अपने दोस्तों की मदद से श्रीलंका पहुंची थीं. 32 साल की इस्माइल फिलहाल न्यूयॉर्क में अपनी बहन के साथ रह रही हैं.
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