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इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी खबर है अमेरिका और ईरान के बीच टकराव. अमेरिकी हमले में ईरानी जनरल सुलेमानी के मारे जाने के बाद से मिडिल ईस्ट या कहें पश्चिम एशिया में नाजुक हालात हैं. दुनिया की महाशक्ति अमेरिका और मिडिल ईस्ट का शिया बहुल देश ईरान आमने-सामने है. दुनियाभर की मीडिया की पहली हेडलाइन दोनों देशों के बीच तनातनी पर है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी वेबसाइट पर पहले स्थान पर इसी खबर को जगह दी है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है ईरान ने इराक में अमेरिका के 2 ठिकानों पर किया हमला किया. और ईरान ने इसे बदला कहा है. ईरान ने अमेरिकी ठिकानों पर हमला करने के लिए बैलेस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने ईरानी जवाबी कार्रवाई की रिपोर्ट विस्तार से लिखी है. ईरान के दावों और अमेरिका के पक्ष को शामिल किया है.
बीबीसी ने हेडलाइन बनाई है कि अमेरिकी सेना पर ईरान ने बैलेस्टिक मिसाइल से हमला किया है. बीबीसी ने लिखा है कि ईरान का ये हमला अपने जनरल सुलेमानी की मौत की जवाबी कार्रवाई है. बीबीसी के मिडिल ईस्ट एडिटर जोनाथन मार्कस ने लिखा है कि भले ही अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी हो लेकिन दोनों ही देश आपस में संकट को बढ़ाना नहीं चाहते हैं.
वॉशिंगटन पोस्ट ने भी ईरान और अमेरिका की तनातनी की जमकर कवरेज की है. वॉशिंगटन पोस्ट ने हेडलाइन बनाई है- ईरान का अमेरिकी ठिकानों पर हमला, संघर्ष बढ़ रहा. वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है ईरानी हमले में किसी भी अमेरिकी के मारे जाने की खबर नहीं है. ईरान ने ईराकी नेता को हमले के पहले जानकारी दी थी. इराकी मिलिटिया के नेता के बयान को भी छापा है.
अलजजीरा ने भी ईरान-अमेरिका टेंशन की जमकर कवरेज की है. दोनों देशों के बीच ये हालात कैसे पैदा हुए और अब आगे क्या हो सकता है इस पर अलजजीरा ने रिपोर्ट लिखी है. इस हमले के होने के बाद अलग-अलग देशों की इस हमले पर क्या प्रतिक्रिया रही. ईरान में लोगों के बीच इस हमले को लेकर राय है और ईराकी सरकार का क्या कहना है. ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने अमेरिकी बलों पर किए हमले को आत्मरक्षा में उठाया गया कदम बताया और कहा कि इसके साथ ही अमेरिकी हवाई हमले में मारे गए कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला पूरा हो गया है.
ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जारिफ ने मंगलवार को बताया कि अमेरिका ने उन्हें न्यू यॉर्क स्थित UN जाने के लिए वीजा जारी करने से मना कर दिया है. जारिफ ने कहा, "ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अमेरिका को डर है कि कोई वहां जाकर सब सच सच बता देगा तो फिर उसकी पोल खुल जाएगी." जारिफ ने कहा कि दुनिया केवल न्यू यॉर्क तक सीमित नही है और वो तेहरान से भी आवाज उठा सकते हैं.
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