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कोरोना वायरस के दुनियाभर में 45 लाख से ज्यादा केस रिपोर्ट हो चुके हैं. संक्रमण से मरने वालों की तादाद 3 लाख से ऊपर पहुंच गई है. इस महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया है. लेकिन ये महामारी इंसानों के बीच आई कैसे? या ये पूछा जाए कि कोई भी महामारी दुनिया में किस तरह आती है? इसका सीधा जवाब होगा कि जब इंसानी गतिविधियों से नेचुरल हैबिटैट को नुकसान पहुंचता है, तो महामारी को टाला नहीं जा सकता.
वायरस और बैक्टीरिया धरती पर इंसानों से पहले से है. ये प्राकृतिक तौर पर लगभग हर जगह पाए जाते हैं. असंख्य प्रकार के वायरस मौजूद हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि करीब 200 तरह के वायरस ही इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले 20 सालों में जितने भी वायरस ने इंसानों को संक्रमित किया है, उनमें से ज्यादातर दूसरी स्पीशीज से आए हैं. ये स्पीशीज इन वायरस के कोष की तरह होती हैं. इनमें से कई वायरस चमगादड़ से आए हैं. चमगादड़ इंसानों को संक्रमित करने वाले कई खतरनाक वायरस के कोष की तरह काम करतॆ हैं.
मौजूदा कोरोना वायरस महामारी का स्रोत कई एक्सपर्ट्स चीन के वुहान शहर का एक वेट मार्केट बताते हैं. इस मार्केट में कई जानवरों को एक साथ छोटी जगह पर बंद करके रखा जाता है. इसकी वजह से जानवरों के शरीर से निकलने वाले दृव्यों के आपस में मिलने का खतरा रहता है. इन जानवरों के इंसानों के संपर्क में आने से इनमें मौजूद वायरस का इंसानों के बीच आना मुमकिन हो जाता है.
दुनियाभर में अंधाधुंध जनसंख्या बढ़ने के साथ ही इंसानों ने रहने और काम करने की जगह के लिए जंगलों को काटा है. जंगलों को काटकर इंसान ऐसे हैबिटैट में पहुंच गए हैं, जहां पहले सिर्फ जंगली जानवर रहते थे. इन जानवरों से इंसानों का संपर्क भी हर दिन बढ़ रहा है. ऐसे में नए वायरस से इंसानों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है.
इसके अलावा जंगलों के कटने और बेरोकटोक चल रही औद्योगिक गतिविधियों से बढे प्रदूषण की वजह से धरती का तापमान बढ़ गया है. इसकी वजह से वायरस और बैक्टीरिया फैलाने वाले वेक्टर को भी अपनी संख्या बढ़ाने का मौका मिल जाता है.
इंसानों की वाइल्डलाइफ हैबिटैट में दखलंदाजी बढ़ने से वो लगातार नए वायरस और पैथोजन के संपर्क में आ रहे हैं. इन वायरस के बारे में वैज्ञानिकों को कुछ नहीं पता है. ऐसे में इनसे हुए संक्रमण को रोकने में काफी समय लग जाता है और महामारी बन जाती है.
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