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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 22 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात करेंगे. इस दौरान वह पाकिस्तान और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार लाने की कोशिश करेंगे.
माना जा रहा है कि अमेरिकी नेतृत्व इमरान पर पाकिस्तानी धरती पर सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ “निर्णायक और स्थिर” कार्रवाई करने और तालिबान के साथ शांति वार्ता में सहायक भूमिका निभाने का दबाव बनाएगा.
क्रिकेटर से नेता बने इमरान 20 जुलाई को अमेरिका पहुंचे हैं. एयरपोर्ट पर इमरान के स्वागत के लिए पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी मौजूद थे. इसके अलावा पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी भी वहां पहुंचे थे.
वॉशिंगटन डीसी में ठहरने के दौरान इमरान ट्रंप से मुलाकात करने के अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी प्रमुख डेविड लिप्टन और विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास से भी मिलेंगे. इसके अलावा वह 23 जुलाई को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ से मिलेंगे.इमरान खान के साथ पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद भी दौरे पर आए हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने पाकिस्तान में राजनयिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि अफगान शांति प्रक्रिया और पाकिस्तान को मिलने वाली सैन्य सहायता बहाल करने जैसे मुद्दों पर चर्चा, इमरान के दौरे में अहम होगी. इमरान का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच बातचीत एक निर्णायक चरण में पहुंच गई है.
प्रधानमंत्री बनने से पहले इमरान नियमित रूप से अमेरिका आया करते थे और पाकिस्तानी प्रवासियों के बीच उनका अच्छा-खासा जनाधार है.
इमरान के अमेरिकी दौरे को लेकर बलूच, सिंधी और मोहाजिर समेत पाकिस्तान के कई धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय विरोध-प्रदर्शन भी कर रहे हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें वॉशिंगटन डीसी में इमरान के भाषण के दौरान बलूच एक्टिविस्ट विरोध-प्रदर्शन करते दिख रहे हैं.
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