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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि स्टडी के मुताबिक भारत में 2015 के मुकाबले 2016 में मौत की सजा के मामलों में 81 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है.
मौत की सजा और उस पर अमल पर ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने साल 2016 में 136 लोगों को मौत की सजा सुनाई, जबकि 2015 में यह आंकड़ा 75 था. खास बात यह है कि जिस अपराध के लिए मौत की सजा सुनाई गई, उसमें मुख्य रूप से हत्या के मामले थे.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि नए एंटी हाईजैकिंग लॉ में सिर्फ हाईजैकिंग पर भी मौत की सजा का प्रावधान है. हालांकि यह सिर्फ उनके लिए है जिनकी वजह से किसी बंधक, सुरक्षाकर्मी या ऐसे शख्स की मौत हो जाए. इसके चलते 2016 में ये आंकड़े लगभग दोगुने हो गये.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2016 में एक भी शख्स की सजा पर अमल नहीं हुआ, लेकिन अभी ऐसे 400 कैदी जेलों में बंद हैं, जिनकी मौत की सजा पर इस साल के अंत तक अमल होना है.
इसकी तुलना में पाकिस्तान में इसकी संख्या में महत्वपूर्ण गिरावट आई है. पाकिस्तान में साल 2015 में 320 लोगों को मृत्युदंड दिया गया, जबकि साल 2016 में सिर्फ 87 लोगों को ही मृत्युदंड दिया गया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत उन कुछ देशों में शामिल है, जो ड्रग से जुड़े मामलों में भी मौत की सजा देते हैं.
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