advertisement
इंग्लिश प्रीमियर लीग के क्लब लिवरपूल के लेजेंडरी मैनेजर बिल शैंकली ने एक बार कहा था कि "लोग दावा करते हैं कि फुटबॉल जीवन और मौत का मामला है, लेकिन मैं आपसे कह सकता हूं कि यह उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है". फुटबॉल के इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं जब इसकी परिधि सिर्फ हार-जीत के बाहर हिंसा तक पहुंच जाती है. इंडोनेशिया में ठीक यही देखने को मिला है. न्यूज एजेंसी AP के अनुसार इंडोनेशियाई लीग फुटबॉल मैच के बाद भड़की हिंसा और भगदड़ (Indonesia football riot) में कम से कम 174 लोगों की मौत हो गई है और 180 घायल हो गए हैं.
ईस्ट जावा के मलंग रीजेंसी में Arema FC और Persebaya Surabaya क्लब के बीच मुकाबला था. लेकिन Arema FC के 3-2 से हराने के बाद इन दोनों जावानीस क्लबों के समर्थक और लंबे समय से एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी भिड़ गए. ईस्ट जावा के पुलिस प्रमुख, निको अफिंटा ने कहा कि हारने वाली टीम Arema FC के फैंस पिच पर उतर आए, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस दागे, जिससे भीड़ भगदड़ मच गई.
पुलिस प्रमुख के अनुसार पुलिस एक्शन के बाद एक ही एग्जिट गेट की ओर कई दर्शक भागे, जिसके कारण भगदड़ मची, बहुत से लोग कुचले गए और उनका दम घुटने लगा. हॉस्पिटल के एक डायरेक्टर ने स्थानीय टीवी को बताया कि मरने वालों में से एक पांच साल का बच्चा भी शामिल है.
इंडोनेशिया के मुख्य सुरक्षा मंत्री महफूद एमडी ने कहा कि मैच के दौरान दर्शकों की संख्या Kanjuruhan स्टेडियम की क्षमता से अधिक थी. उन्होंने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा कि 38,000 लोगों के बैठने की क्षमता वाले स्टेडियम के लिए 42,000 टिकट बेचे गए थे.
फुटबॉल मैच के बाद कथित तौर पर झड़प तब शुरू हुई जब Arema FC के हजारों फैंस टीम की हार के बाद पिच पर पहुंचे. Persebaya Surabaya क्लब के खिलाड़ियों ने तो पिच जल्दी छोड़ दिया लेकिन मैदान पर अभी भी मौजूद Arema FC के कई खिलाड़ियों पर हमला किया गया.
इंडोनेशियाई सरकार ने इस भीषण हादसे के लिए माफी मांगी है और इसकी जांच करने का वादा किया है. इंडोनेशिया में फैंस के बीच हिंसा एक स्थायी समस्या है, जहां दो विरोधी टीमों के बीच की प्रतिद्वंदिता पहले भी हिंसक झपड़ में बदली है.
Heysel Disaster
हेसेल के हादसे ने 1970 और 1980 के दशक में इंग्लिश फुटबॉल में बड़े पैमाने पर होने वाली हिंसा को प्रकाश में लाया था. 1985 में हेसेल स्टेडियम लिवरपूल और जुवेंटस के बीच 1984 के यूरोपीय कप फाइनल की मेजबानी कर रहा था. मैच से पहले ही स्टेडियम के बाहर दोनों तरफ के फैंस के बीच जुबानी जंग हो रही थी, जिससे अंततः तनाव बढ़ गया
Egypt 2012 Disaster
मिस्र का पोर्ट सईद स्टेडियम 2012 में हिंसक घटना का गवाह बना जब अल मास्री के राजनीतिक रूप से प्रभावित फैंस का एक समूह अल अहली फैंस पर हमला करने के लिए चाकू और तलवार के साथ स्टेडियम में पहुंचा. आगे हुई हिंसा में 79 लोगों की मौत हो गई जबकि कई गंभीर रूप से घायल हो गए. इस शर्मनाक घटना के बाद मिस्र की लीग को एक साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था.
Estadio Nacional disaster
एस्टाडियो नेशनल डिजास्टर पेरू के नेशनल स्टेडियम में हुआ था और इसे फुटबॉल इतिहास का सबसे हिंसक दंगा माना जाता है. 24 मई 1964 को अर्जेंटीना और पेरू टोक्यो ओलंपिक टूर्नामेंट में क्वालीफाई करने के लिए खेल रहे थे. अर्जेंटीना खेल खत्म होने (90 मिनट) से दो मिनट पहले 1-0 से आगे चल रहा था तभी पेरू के एक गोल को रेफरी ने अस्वीकार कर दिया. इससे भड़के पेरू के फैंस पिच पर आ गए. सुरक्षा अधिकारियों द्वारा आंसू गैसों की फायरिंग से यह स्थिति और खराब हो गई और भगदड़ मच गयी. तब आमतौर पर मैच के दौरान गेट के शटर बंद कर दिए जाते थे. ऐसे में मची भगदड़ में 320 लोगों की मौत हो गई और लगभग 500 लोग घायल हो गए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)