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सऊदी अरब में दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको की तेल रिफाइनरी में शनिवार को ड्रोन हमला हुआ. इस घटना में अरामको की दो रिफाइनरियों में आग लग गई. इसके लिए अमेरिका ने ईरान को जिम्मेदार ठहराया. अब ईरान ने अमेरिकी आरोपों को रविवार को “निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया. साथ ही ईरान ने कहा कि अमेरिका इस्लामी गणराज्य के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई बहाना ढूंढ रहा था.
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मूसावी के हवाले से एक बयान में कहा-
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने इन हमलों के बाद ईरान को लताड़ लगाई थी. यमन के ईरान समर्थित शिया हूती विद्रोहियों ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली लेकिन पोम्पिओ ने कहा, “इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि ये हमले यमन से हुए.”
ईरान और अमेरिका के बीच पिछले साल मई से तब से तनाव बढ़ा हुआ है जब से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुई एक डील से अमेरिका को बाहर कर दिया था. इस डील के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने के बदले में उस पर लगे प्रतिबंधों में कुछ ढील देने का वादा किया गया था.
अरामको दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी मानी जाती है. यह दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भी कंपनी है. अरामको का दावा है कि बुकयाक ऑयल फील्ड में दुनिया का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल स्टेबलाइजेशन प्लांट स्थित है. इस प्लांट में कड़वे तेल को मीठे तेल में बदला जाता है. इसके बाद फारस की खाड़ी और लाल सागर से इसे एक्सपोर्ट कर दिया जाता है. इसके मुताबिक दिनभर में इस प्लांट से करीब सात मिलियन बैरल क्रूड ऑयल प्रोसेस किया जाता है.
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