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7 अक्टूबर को हमास के किए गए अचानक हमले के बाद इजरायल के हमास पर युद्ध (Israel-Hamas war) की घोषणा करने, और इस क्षेत्र में दुश्मनी फिर से शुरू होने के बाद, कुछ फिलिस्तीनी विरोध प्रदर्शन के दौरान गैर-फिलिस्तीनियों से केफियेह (Palestinian Keffiyeh) जो की एक खास चेकदार स्कार्फ होता है उसे पहनने की अपील कर रहे हैं.
दरअसल, दुनिया भर में कई फिलिस्तीनी प्रवासी समुदायों और उनके सहयोगियों ने एकजुटता के प्रतीक के रूप में केफियेह पहनना शुरू कर दिया है. पिछले हफ्ते वर्मोंट में जिन तीन फिलिस्तीनी छात्रों को गोली मार दी गई थी, वह काले और सफेद केफियेह स्कार्फ पहने हुए थे.
केफियेह की जड़ें गहरी हैं जो मध्य पूर्व के शुष्क परिदृश्यों (ड्राई लैंड) में सदियों तक फैली हुई हैं. इसे परंपरागत रूप से कपास से तैयार किया गया था, इसे सबसे पहले खानाबदोश बेडौइन जनजातियां रेगिस्तानी सूरज और रेत से सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करती थीं.
रेगिस्तानी परिदृश्य में केफियेह की उपयोगिता ने क्षेत्र की विविध संस्कृतियों में इसकी बढ़े स्तर पर लोकप्रियता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 20वीं सदी के अंत में, यहूदी और अरब दोनों समुदाय केफियेह पहनते थे.
अपनी व्यावहारिकता (Practicality) के अलावा, केफियेह क्लास-स्ट्रगल के प्रतीक के रूप में भी उभरा. जबकि ग्रामीण किसान केफियेह पहनते थे, फिलिस्तीनी मध्यम और उच्च वर्ग ने फेज को अपनाया. जिसे "टार्बोश" के रूप में भी जाना जाता है, फेज ऑटोमन्स के द्वारा लोकप्रिय की गई एक पारंपरिक ब्रिमलेस टोपी है, जो आमतौर पर फेल्ट से बनी होती है और लटकन से सजी होती है.
फेज को 1800 के दशक में इस क्षेत्र के पूर्व शासक, ऑटोमन सम्राट महमूद द्वितीय ने लोकप्रिय बनाया था. फिलिस्तीनी अभिजात वर्ग (Elite Class) ने इन ऑटोमन-शैली की टोपियों को ड्रेस की स्टैंड्रड फॉर्म के रूप में अपनाया.
1930 के दशक में, केफियेह में दूसरा परिवर्तन आया. प्रथम विश्व युद्ध के बाद ऑटोमन साम्राज्य से फिलिस्तीन पर कब्जा करने वाले अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह के दौरान, केफियेह एक खास राष्ट्रीय प्रतीक बन गया, जिसने सभी फिलिस्तीनियों को एकजुट किया और फेज की जगह ले ली.
कुछ विद्रोहियों ने ब्रिटिश अधिकारियों के संभावित नतीजों से बचने के लिए रणनीतिक रूप से अपना चेहरा छिपाने के लिए केफियेह पहन लिया.
1948 में इजरायल राज्य की स्थापना के बाद इसमें एक और बदलाव आया. 1948 के अरब-इजरायली युद्ध के दौरान सैकड़ों हजारों फिलिस्तीनियों के विस्थापन के बाद, केफियेह फिलिस्तीनियों के साथ इजरायल के व्यवहार के खिलाफ फिलिस्तीनी लचीलेपन की अभिव्यक्ति बन गया. जो लोग विस्थापित हुए और जो रह गए, दोनों ने इसे पहना, इस हेडड्रेस ने जमीन के साथ उनके भावनात्मक रिश्ते को दिखाया.
समाचार सुर्खियों में केफियेह को "फिलिस्तीन के अनौपचारिक झंडे" के रूप में भी संबोधित किया गया है, और फिलिस्तीनी समुदाय विश्व स्तर पर 11 मई को विश्व केफियेह दिवस मनाते हैं. यह फिलिस्तीनी मिलिटेंट ग्रुप के साथ-साथ फिलिस्तीनी राइट एक्टिविस्ट लोगों के बीच भी लोकप्रिय हो गया है.
हाल ही के वर्षों में, फिलिस्तीनी सिंगर और 2013 के "अरब आइडल" विजेता मोहम्मद असफ जैसी प्रभावशाली सांस्कृतिक हस्तियों ने केफियेह को और ज्यादा लोकप्रिय बनाने में योगदान दिया है.
केफियेह की गूंज वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी तक ही सीमित नहीं है. जैसे ही फिलिस्तीनी विरोध और प्रतिरोध की तस्वीरें विश्व स्तर पर फैलीं, वैसे ही केफियेह का प्रतीक भी फैल गया. दुनिया भर के एक्टिविस्टों और समर्थकों ने फिलिस्तीनी मुद्दे के साथ एकजुटता के संकेत के रूप में केफियेह को अपनाया.
फैशन इंडस्ट्री ने केफियेह को विश्व स्तर पर फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. फिलिस्तीनी अर्थव्यवस्था के प्रतीक मछली पकड़ने के जाल और जैतून के पत्तों की नक्काशी के साथ इसका विशिष्ट डिजाइन स्कार्फ से लेकर शर्ट तक विभिन्न कपड़ों की वस्तुओं पर अपना रास्ता बना चुका है. हालांकि, इन चीजों में अक्सर उस राजनीतिक संदर्भ की कमी होती है जो फिलिस्तीनियों के लिए केफियेह के महत्व को परिभाषा देती हैं.
एक फैशन एक्सेसरी के रूप में इसके प्रचार और कुछ प्रमुख फैशन ब्रांडों द्वारा इसके चेकर्ड डिजाइन की लोकप्रियता ने केफियेह के राजनीतिक और ऐतिहासिक संदर्भ का सम्मान करने के महत्व के बारे में बहस छेड़ दी है. साथ ही, फिलिस्तीनी इलाकों में केफियेह बनाने वालों को भी चीन में कारखानों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है.
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