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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजरायल यात्रा एक ऐतिहासिक दौरा होने जा रही है. 2017 दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों का 25वां साल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजरायल यात्रा के मैन्यू में पानी सबसे ऊपर है. पौधों के लिए ड्रिप इरिगेशन, समंदर के पानी को पीने लायक बनाने की टेक्नॉलजी, वातावरण में मौजूद नमी को पीने के पानी लायक बनाने की टेक्नॉलजी, इजरायल के पास पानी से जुड़ी वो तमाम तकनीक है जो भारत में पानी की दिक्कत का रेडीमेड सॉल्यूशन हो सकती है.
इसके अलावा चारों तरफ गैर-मित्र अरब देशों से घिरे इजरायल ने डिफेंस टेक्नॉलजी में वो महारत हासिल कर ली है कि वो कई मामलों में रूस और चीन से भी आगे निकल गया है. डिफेंस और पानी की टेक्नॉलजी में इजरायल दुनिया के अग्रणी देशों में एक है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजरायल यात्रा में यही दोनों बातें छाई रहेंगी.
डिफेंस मामलों में इजरायल की टेक्नॉलजी की खूबी यही है कि दुश्मन के वार से पहले ही उसकी चाल पहचान लेती है. इजरायली सेना के पास ऐसे टोही विमान हेरॉन टीपी (यूएवी) हैं जिसके लिए पायलट की जरूरत नहीं. लेकिन सीमा पर निगरानी के वक्त ये आतंकवादी गतिविधियों की सूचना पहुंचा देते हैं और जरुरत पड़ने पर इनके जरिए आतंकवादी ठिकानों को नष्ट भी किया जा सकता है. भारत को पाकिस्तान के लगने वाली सीमा पर ऐसे ही विमानों की जरूरत है.
सीमा की तरह साइबर खतरे से भी निपटना उतना ही जरूरी है. इजरायल की साइबर सिक्योरिटी को अभेद्य माना जाता है. मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत इस बात की कोशिश में है कि इजरायल बातचीत इंटरसेप्ट करने का सॉफ्टवेयर देने को राजी हो जाए. इस सॉफ्टवेयर की मदद से इंटरनेट प्लेटफार्म में होने वाली किसी भी हरकत या बातचीत सुरक्षा एजेंसियों की नजर में आ जाएगी.
वैसे भी साल 2017 इजरायल के लिए खासी अहमियत रखता है। यह साल देश के इतिहास और ऐतिहासिक उपलब्धियों से भरा पड़ा है.
1. इसी साल भारत-इजरायल के साथ राजनयिक संबंधों को 25 साल
2. 1967 के युद्ध में इजरायल की जीत के 50 साल
3. सिर्फ 6 दिन में सीरिया, जॉर्डन, मिस्त्र, इराक को हराया था
4. अलग देश के तौर पर इजरायल के 70 साल
दोनों देशों के बीच अभी कुल कारोबार करीब $5.02 अरब का है. इसमें आईटी से जुड़ा कारोबार शामिल नहीं है. इसमें इजरायल को भारत से $1.77 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट होता है. जबकि भारत वहां से $2.4 अरब का इंपोर्ट करता है. ऐसे में इजरायली कंपनियों को लगता है कि मोदी की यात्रा से कारोबार का ये सिलसिला और रफ्तार पकड़ेगा.
डिफेंस के अलावा डायमंड ट्रेड में भारत और इजरायल के बीच सहयोग बहुत रोचक होगा क्योंकि दोनों देश इस क्षेत्र में एक दूसरे के कंपिटीटर भी हैं. भारत दुनिया में सबसे ज्यादा पॉलिश्ड डायमंड एक्सपोर्ट करता है, जबकि इजरायल का दूसरा नंबर है. डायमंड इंडस्ट्री के मुताबिक इजरायल में लागत ज्यादा होने की वजह से डायमंड पॉलिस का बहुत सा काम भारत में कराता है.
इस साल भारत और इजरायल के राजनयिक रिश्तों को 25 साल हो गए हैं. लेकिन इतने दिनों में अभी तक किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का तेल अवीव न आ पाने का इजरायल को बहुत मलाल रहा है. फिर मोदी की ये यात्रा इजरायल के लिए डबल बोनांजा है.
भारतीय प्रधानमंत्री इजरायल तो जाएंगे लेकिन फिलिस्तीन के रामाल्लाह या किसी इलाके का दौरा नहीं करेंगे. इसे भारतीय विदेश नीति में सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि अभी तक भारत की विदेश नीति में हमेशा फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संतुलन बनाने की कोशिश रहती है.
जानकार कहते हैं भारत और इजरायल नैचुरल पार्टनर हैं. उनके मुताबिक, भारत चाहे तो उससे बहुत कुछ सीख सकता है.
भारत में भी इजरायल के साथ दोस्ती को लेकर उत्साह है. लेकिन अगर मोदी इजरायल से आधुनिक डिफेंस और पानी से जुड़ी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का भरोसा ले लेते हैं तो वो इस यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी.
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