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85 साल बाद हागिया सोफिया इमारत को म्यूजियम से मस्जिद में बदला जा चुका है. ऐसा होने के बाद 24 जुलाई को यहां पहली बार नमाज हुई. तुर्की के इस फैसले का जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय विरोध हुआ है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एर्दोगॉन से बात की है. ग्रीस ने तुर्की पर प्रतिबंध लगाने के लिए मोर्चा तक बनाने की कोशिशें कीं. वेटिकन में पोप से लेकर, रूस के पैटियार्क किरिल तक, अमेरिका से लेकर यूरोप तक, एर्दोगॉन के इस कदम की अहम शख्सियतों ने जमकर निंदा की.
हागिया सोफिया. एक ऐसी इमारत जिसने 1660 साल का इतिहास अपने-आप में समेटकर रखा है. बेजोड़ स्थापत्य के इस नमूने की अपनी समृद्ध धार्मिक और सामाजिक विरासत है. ईसाईयों और इस्लाम मानने वालों के लिए बतौर पूजास्थल (चर्च, कैथेड्रल और मस्जिद), इतिहास में इसकी अलग पहचान रही है.
जिस जगह हागिया सोफिया स्थित है, वहां पहली बार 360 AD में शहंशाह कांस्टेंटिन ने कैथेड्रल का निर्माण करवाया था, जिसे 404 AD के दंगों में जला दिया गया.
लेकिन शहंशाह थियोडोसियस ने 11 साल बाद इसे दोबारा खड़ा कर दिया. अगले 117 साल तक यह इमारत मजबूती से खड़ी रही. 532 AD में कांस्टेंटिनपोल शहर में शहंशाह जस्टीनियन की सत्ता के खिलाफ भयंकर दंगे हुए.
लेकिन जस्टीनियन हागिया सोफिया को दोबारा खड़ा करने की ठान चुका था. इस तरह 537 AD में दूसरी बार हागिया सोफिया बनकर खड़ी हो गई.
यह भारी-भरकम इमारत अगले एक हजार साल तक पूर्वी क्रिश्चियन समुदाय का प्रतिनिधित्व करती रही. 1453 AD में जब ऑटोमन तुर्कों ने बायजंटाइन साम्राज्य का नाश कर कांस्टिंटिनपोल (आज का इस्तांबुल) पर अपना झंडा फहराया, तो हागिया सोफिया को मस्जिद बना दिया गया. अगले 482 साल तक, मतलब 1935 तक हागिया सोफिया मस्जिद ही बनी रही.
ऑटोमन साम्राज्य की जमीन पर आज के लीबिया, सीरिया, इजरायल, ईराक समेत तमाम बाल्कन और अरब देश बने हैं. साम्राज्य के केंद्र में एक सेकुलर तुर्की का जन्म हुआ. तब तुर्की के कर्ताधर्ता बने मुस्तफा कमाल अतातुर्क. उन्होंने हागिया सोफिया को लेकर एक अनोखा फैसला लिया.
दुनिया में तमाम ऐसे उदाहरण रहे, जहां एक धर्म के पूजास्थलों पर दूसरे धर्म के पूजास्थलों की स्थापना की गई. लेकिन अतातुर्क ने एक धर्मस्थल को म्यूजियम में बदलकर एक सेकुलर नजीर पेश की. हागिया सोफिया मस्जिद को 1930 में बंद कर दिया गया और 1935 में इसे मस्जिद से म्यूजियम बना दिया गया.
तुर्की के उदारवादी, पंथनिरपेक्ष और अल्पसंख्यक समाज का बड़ा हिस्सा एर्दोगॉन के ताजा कदम को बहुसंख्यक तुष्टीकरण बता रहे हैं. उनका आरोप है कि तुर्की की गिरती अर्थव्यवस्था से एर्दोगॉन की लोकप्रियता कम हो रही है, इसलिए वे देश को कट्टरता की आड़ में झोंक रहे हैं.
आर्मेनेयिन मूल के तुर्की सांसद गारो पेलॉन ने इंस्टाग्राम पर लिखा, "यह ईसाई समुदाय और बहुलतावादी संस्कृति में यकीन रखने वाले लोगों के लिए शोक दिवस है." NBC न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में पेलॉन ने कहा,"एर्दोगॉन लोगों को रोटी नहीं दे सकते, इसलिए वे मुस्लिम बहुसंख्यकों को कट्टरता परोस रहे हैं."
8वीं और 9वीं शताब्दी में "बायजंटाइन आइकोलोक्लाज्म" के विकास के साथ हागिया सोफिया में बहुत सारी मोजैक (चित्र वर्ण) उभारे गए थे. ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन समुदाय के लिए इनकी खास अहमियत है.
हालांकि सरकारी प्रशासन का कहना है कि हागिया सोफिया में मौजूद मोजैक में से सिर्फ दो- वर्जिन मैरी और आर्कएंजल गैब्रियल के मौजेक पर पर्दा डाला जाएगा, क्योंकि यह मक्का की दिशा में बने हैं और इसी ओर मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करते हैं.
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