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जॉनसन एंड जॉनसन पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराते हुए नजर आ रहे हैं. दुनियाभर में कंपनी का बेबी पाउडर सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. जिस पर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं. दुनियाभर के करीब 170 एनजीओ ने कंपनी को कहा है कि वो अपना बेबी पाउडर बेचना बंद करे, क्योंकि ऐसे केमिकल इस्तेमाल हुए हैं जिनसे बच्चों को कैंसर का खतरा हो सकता है. ये स्टेटमेंट एक संगठन ब्लैक वुमेन फॉर वेलनेस की तरफ से जारी किया गया है.
ये संगठन शैक्षणिक संस्थाओं को भी चलाता है और जॉनसन एंड जॉनसन को सलाल देने वाले संगठनों में ग्रीनपीस जैसे एक्टिविस्ट ग्रुप भी शामिल हैं. ये सभी चाहते हैं कि कंपनी उत्तरी अमेरिका में उसके मौजूदा स्टॉक को वापस ले ले.
अलजजीरा के मुताबिक ब्लैक वुमेन फॉर वेलनेस के डायरेक्टर रॉबिनसन ने बताया कि, जॉनसन एंड जॉनसन ने पूरी दुनिया में ब्लैक और ग्रे कंज्यूमर्स के लिए अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग की. जो रंगभेद को लेकर दिए गिए कंपनी के बयान का बिल्कुल उलटा है.
इसके अलावा जॉनसन एंड जॉनसन ने मई में कहा था कि वो यूनाइटेड स्टेट्स और कनाडा में अपने बेबी पाउडर को बेचना बंद कर रहा है. इसके पीछे उन्होंने कारण बताया था कि कंपनी के बेबी पाउडर की डिमांड अफवाहों के बाद वहां काफी कम हो चुकी है. इसके अलावा वहां इसे कानून तौर पर भी चुनौती दी गई थी.
हालांकि कंपनी ने कहा कि वो अपने इस बेबी पाउडर को दुनिया के बाकी देशों में बेचना जारी रखेगी. कंपनी ने बताया कि उनका प्रोडक्ट कई दशकों से इस्तेमाल किया जा रहा है और वो साइंटिफिकली प्रूव है. इसे कई मेडिकल एक्सपर्ट्स ने हरी झंडी दी है.
दरअसल कुछ साल पहले एक न्यूज एजेंसी ने जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी पाउडर को लेकर एक इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट की थी. जिसमें जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी पाउडर में कैंसरकारक केमिकल एसबेस्टस होने का खुलासा हुआ था. रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 1971 से साल 2000 तक टेस्ट के दौरान कंपनी के बेबी पाउडर में कई बार एसबेस्टस मिला था.
जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी पर उसके एक प्रोडक्ट के लिए कुछ महीनों पहले 8 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया था. एक शख्स ने आरोप लगाया कि उसने कंपनी की एक दवाई ली थी, जिससे उसके ब्रेस्ट उभर गए. हालांकि कंपनी ने कभी भी उसे इस बारे में नहीं बताया. इस शख्स के केस दर्ज किए जाने के बाद कंपनी पर 8 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया. फिलाडेल्फिया की एक कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले शख्स के पक्ष में फैसला सुनाया. जॉनसन एंड जॉनसन को इन आरोपों को झूठा साबित करने का वक्त दिया गया था, लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाई. जिसके बाद कंपनी पर ये जुर्माना लगाया गया.
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