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शिक्षा के बिना अफगानिस्तान में लड़कियों के शोषण का खतरा: कैलाश सत्यार्थी

नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी सतत विकास लक्ष्य के एडवोकेट नियुक्त किए गए हैं

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<div class="paragraphs"><p>नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी </p></div>
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नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी

(फोटो: AP)

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संयुक्त राष्ट्र (UN) के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के एडवोकेट के रूप में अपनी नई भूमिका में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) ने अफगान बच्चों, विशेषकर लड़कियों की शिक्षा की वकालत की है और तालिबान शासन के तहत मानवीय संकट के बीच उनके भविष्य के लिए चिंता व्यक्त की.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस द्वारा सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के 17 एडवोकेट में से एक के तौर पर नियुक्त कैलाश सत्यार्थी ने इस महीने होने वाले संयुक्त राष्ट्र के जनरल असेंबली में अफगानिस्तान और वहां के बच्चों के अधिकार का मुद्दा उठाने का आह्वान किया.

'द हिन्दू' को दिए एक इंटरव्यू में कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि ""यदि बच्चों को शिक्षा नहीं दी जाती है, विशेष रूप से लड़कियों को समान स्तर पर, तो सतत शोषण, अन्याय और हिंसा की बहुत अधिक संभावनाएं हैं."

एसडीजी के एडवोकेट क्यों चुने गए कैलाश सत्यार्थी ?

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का कैलाश सत्यार्थी को इस जिम्मेदारी के लिए नियुक्त करना उनके पिछले कामों का नतीजा. अपने संगठन बचपन बचाओ आंदोलन के माध्यम से, उन्होंने बाल श्रम, तस्करी और कई तरह के शोषण से 1 लाख से ज्यादा बच्चों को सीधे बचाया है. उन्होंने ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर का नेतृत्व किया, इसे 103 देशों में जबरदस्त समर्थन दिया.

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2014 में, उन्हें बच्चों और युवाओं के शोषण के खिलाफ और सभी बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिए, जीवन भर के संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. कैलाश सत्यार्थी असमानता, अन्याय और भेदभाव को दूर करने के लिए वैश्विक फेयर शेयर टू एंड चाइल्ड लेबर अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं.

सत्यार्थी अपने चार दशकों के काम के साथ बच्चों के अधिकारों को आगे बढ़ाने और बाल श्रम को खत्म करने के लिए एक वैश्विक आंदोलन खड़ा कर रहे हैं.

और यही काम उन्हें संयुक्त राष्ट्र SDG की नियुक्ति के लिए सबसे उपयुक्त इंसान बनाता है.

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