advertisement
कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने के भारत सरकार के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान दुनियाभर के देशों से सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान दुनिया के बड़े देशों से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग कर रहा है. लेकिन हर जगह उसे मात मिल रही है. अब रूस ने इस मामले में भारत का समर्थन किया है.
रूस ने कश्मीर पर भारत के कदम का समर्थन किया है और कहा है कि इसे लेकर किए गए बदलाव भारतीय संविधान के ढांचे के तहत हैं. रूस ने साथ ही भारत और पाकिस्तान से शांति बनाए रखने का भी आग्रह किया है. रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि मॉस्को उम्मीद करता है कि 'भारत और पाकिस्तान कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जे में किए गए बदलाव के कारण क्षेत्र में स्थिति को जटिल नहीं होने देंगे.'
रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि दोनों देशों के बीच जो भी मतभेद हैं वो 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र के प्रावधानों के अनुरूप राजनीतिक और कूटनीतिक तरीके से द्विपक्षीय आधार पर सुलझाए जाएंगे."
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टेगस ने कहा है कि कश्मीर को लेकर ट्रंप प्रशासन की नीति में कोई बदलाव नहीं है. ऑर्टेगस ने कहा, "अगर ऐसा होता भी तो मैं निश्चित रूप से यहां इसकी घोषणा नहीं करती, लेकिन नहीं, ऐसा नहीं है."
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान 'भारत कश्मीर में नरसंहार करा सकता है' पर अपनी प्रतिक्रिया में ऑर्टेगस ने कहा कि अमेरिका सभी से आग्रह करता है कि कानून का राज बनाए रखें, मानव अधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करें.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने इस सप्ताह की शुरुआत में संसद में कश्मीर के साथ अफगानिस्तान की स्थिति की तुलना की थी. इस पर अफगानिस्तान के हालात को कश्मीर मुद्दे से जोड़ने पर तालिबान ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा है कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच काबुल को प्रतिस्पर्धा के रंगमंच में नहीं बदलना चाहिए.
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने एक बयान में कहा, "दलों का कश्मीर के मुद्दे को अफगानिस्तान के साथ जोड़ने से कुछ हासिल नहीं होगा. क्योंकि यह मुद्दा अफगानिस्तान से संबंधित नहीं है और न ही अफगानिस्तान को अन्य देशों के बीच प्रतिस्पर्धा के रंगमंच में बदलना चाहिए."
कश्मीर मामले पर पाकिस्तान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने लेटर लिखकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से मध्यस्था की मांग की. लेकिन यूएनएससी अध्यक्ष जोअन्ना रोनेका ने मामले पर अपना बयान देने से भी इनकार कर दिया.
पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने रोनेका से 7 अगस्त को मुलाकात की थी. लोधी कश्मीर पर पैरवी करने के अपने अभियान पर हैं. इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अध्यक्ष जोअन्ना रोनेका से इस बारे में जब उनसे पूछा तो वह 'नो' कहकर कर वहां से चली गईं.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के दौर पर गए पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच 9 अगस्त को बीजिंग में एक मीटिंग हुई. इस मीटिंग के बाद चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि बीजिंग हाल ही में कश्मीर में बढ़े तनाव को लेकर काफी चिंतित है.
वांग ने कहा, "कश्मीर मुद्दा औपनिवेशिक इतिहास से जुड़ा एक विवाद है. इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौते के आधार पर सही तरीके से शांति के साथ हल किया जाना चाहिए." बयान में कहा गया है, "चीन का मानना है कि एकतरफा कार्रवाई स्थिति को जटिल बनाएगी, जिसे नहीं किया जाना चाहिए."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)