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उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बुलावे पर चीन पहुंचे हैं. न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, किम का यह तीन दिवसीय दौरा सोमवार से शुरू हुआ है. किम का यह दौरा अमेरिका के लिए नए संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.
बता दें कि पिछले साल किम ने शी जिनपिंग से मिलने के लिए तीन बार चीन का दौरा किया था. इनमें से किसी भी यात्रा की घोषणा पहले से नहीं की गई थी.
गार्जियन के मुताबिक, अमेरिका स्थित सेंटर फॉर द नेशनल इंटरेस्ट में डिफेंस स्टडीज के डायरेक्टर हैरी जे ने कहा, ''किम ट्रंप प्रशासन को यह बताना चाहते हैं कि वॉशिंगटन और सियोल उन्हें जो दे सकता है, उनके पास उसके अलावा भी कूटिनीतिक और आर्थिक विकल्प हैं.''
बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में उत्तर कोरिया ने अमेरिका को धमकी दी है कि अगर उसने अपने प्रतिबंधों को हल्का नहीं किया तो वह (उत्तर कोरिया) अपनी परमाणु क्षमता पर फिर से काम करना शुरू कर देगा.
अमेरिका प्रतिबंधों पर ढील देने से तब तक इनकार कर चुका है, जब तक उसे परमाणु क्षमता पर लगाम लगाने को लेकर उत्तर कोरिया की तरफ से कोई ठोस कदम न दिखे. उत्तर कोरिया का दावा है कि वह इस दिशा में उचित कदम उठा चुका है, अब अगला कदम उठाने की बारी अमेरिका की है.
बता दें कि किम जोंग उन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पिछले साल जून में एक बैठक हुई थी. यह बैठक सिंगापुर में हुई थी. इस बैठक के बाद खबरें आईं कि उत्तर कोरिया ने अपनी परमाणु क्षमता कम करने की दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. उत्तर कोरिया ने इस कदमों का हवाला देकर अमेरिका से प्रतिबंधों में ढील देने की मांग की थी.
इस बीच अमेरिका को लेकर कई बार उत्तर कोरिया के कड़े तेवर भी नजर आए. पिछले दिनों किम जोग-उन ने कहा कि वह 2019 में भी अमेरिका के साथ एक समिट करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वह किसी दबाव में हैं.
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