advertisement
अमेरिकी सेना (America) के अंतिम तीन सी-17 विमानों ने 30-31 अगस्त की आधी रात काबुल के हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी और इसके साथ ही अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य अभियान का अंत हो गया है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बताया-
एंटनी ब्लिंकन ने आगे कहा कि अमेरिका अफगान लोगों को मानवीय सहायता का समर्थन करना जारी रखेगा. यह सरकार के माध्यम से नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों जैसे स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से होगा. उम्मीद है कि तालिबान या किसी अन्य के द्वारा उन प्रयासों को बाधित नहीं किया जाएगा.
लॉयड ने बताया कि अमेरिका ने लगभग 6,000 अमेरिकियों को नुकसान के रास्ते से हटा दिया और 'अफगानिस्तान से 123,000 से अधिक लोगों को निकाला - जिनमें से अधिकांश अफगान, मित्र और सहयोगी हैं'
अमेरिका (America) 20 साल तक तालिबान से लड़ा पर अंत में उसने तालिबान से ही समझौता कर अपनी सेना वापस बुला ली. अमेरिकी सेना के वापस लौटने के चंद दिनों बाद ही तालिबान (Taliban) अफगानिस्तान पर काबिज हो गया. भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति कह रहे हों कि अफगानी खुद तालिबान से लड़ना नहीं चाहते. लेकिन, अफगानिस्तान की जटिल परिस्थितियों का इतना आसान जवाब नहीं हो सकता. सच्चाई ये है कि अफगानिस्तान को साम्राज्यों का कब्रिस्तान कहा जाता है. हां कभी कोई महाशक्ति कामयाब नहीं हुई.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)