advertisement
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल से भारत के लिए एक बुरी खबर है. सियोल में चीन के साथ-साथ कुछ अन्य देशों ने भी भारत की एनएसजी सदस्यता का विरोध किया है. अॉस्ट्रिया, ब्राजील, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और तुर्की ने भी भारत के खिलाफ चीन का साथ दिया है.
इन सभी देशों ने भारत द्वारा एनपीटी पर हस्ताक्षर न किए जाने के कारण भारत का विरोध किया है.
न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफरेशन ट्रीटी सन 1968 में हुई. साल 1970 से यह संधि प्रभाव में है. इसके जरिए परमाणु प्रसार पर रोक लगाई गई है.
गौरतलब है कि भारत ने 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था. यदि भारत एनपीटी पर हस्ताक्षर करता है, तो उसे अपने परमाणु हथियार नष्ट करने होंगे.
1974 में भारत के परमाणु परीक्षण के जवाब में बनाया गया ग्रुप, 1975 से प्रभावी है. वर्तमान में इसके 48 सदस्य हैं. इस समूह के सदस्य परमाणु अप्रसार पर काम करते हैं.
यह देश आपस में सकारात्मक कामों, जैसे ऊर्जा के लिए यूरेनियम, थोरियम और अन्य परमाणु संसाधन और तकनीक बांटते हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले कुछ दिनों में एनएसजी में भारत की दावेदारी को सरकार के प्रमुख एजेंडे के तौर पर रखा है. विभिन्न देशों की यात्राओं के दौरान उन्होंने एनएसजी पर भारत के लिए समर्थन जुटाया है.
इसी का परिणाम है कि सियोल में मेक्सिको जैसे देशों ने भारत का साथ दिया. वहीं अमेरिका की ओर से पहले ही भारत को समर्थन दिया जा चुका है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)