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दुनियाभर के 20 लाख से ज्यादा मुसलमानों ने शुरू की सालाना हज यात्रा

जिदंगी में एक बार हज करना माली और जिस्मानी तौर पर हर सक्षम मुसलमान के लिए जरूरी है.

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जिदंगी में एक बार हज करना माली और जिस्मानी तौर पर हर सक्षम मुसलमान के लिए जरूरी है.
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जिदंगी में एक बार हज करना माली और जिस्मानी तौर पर हर सक्षम मुसलमान के लिए जरूरी है.
(फोटो: शादाब मोइज़ी)

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भारत समेत दुनिया भर के 20 लाख से ज्यादा मुसलमानों ने सऊदी अरब के मक्का में काबा के तवाफ (परिक्रमा) के साथ रविवार से सालाना हज यात्रा शुरू की. इस्लाम के मुताबिक काबा अल्लाह का घर है. इसीलिए मुसलमान काबा की ओर मुंह करके दिन में पांचों वक्त की नमाज अदा करते हैं.

सऊदी अरब में हज के दौरान दुनिया भर से मुसलमान आते हैं. जिदंगी में एक बार हज करना माली और जिस्मानी तौर पर हर सक्षम मुसलमान के लिए जरूरी है.

हज मुसलमानों को अल्लाह से नजदीक होने का अहसास कराता है. इस बार का हज ऐसे वक्त में शुरू हो रहा है जब मुस्लिम जगत पश्चिम एशिया में हिंसा के खतरे, चरमपंथ और म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के संकट समेत कई चुनौतियों का सामना कर रहा है.

अल्लाह का बहुत बहुत करम है कि हम इस जगह पर हैं. हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि पश्चिम से पूर्व तक के राष्ट्रों के हालात बेहतर बनाए. 
-एस्साम-एद्दीन अफीफी, मिस्र से आए हज यात्री

पैगंबर के बताए रास्ते पर चलना है हज

मुसलमानों का मानना है कि हज करना, पैगंबर मोहम्मद साहब, पैगंबर इब्राहीम और पैगंबर इस्माईल (बाइबल में अब्राहम और इश्माइल) के बताए रास्ते पर चलना है. मुसलमानों का यकीन है कि अल्लाह ने पैगंबर इब्राहीम को अपने बेटे इस्माईल की कुर्बानी का हुक्म दिया था, लेकिन जब वह उनकी कुर्बानी देने जा रहे थे तब उनका हाथ रोक दिया था. और उनकी जगह भेड़ रख दिया.

अल्लाह पैगंबर इब्राहीम की परिक्षा ले रहे थे कि क्या पैगंबर इब्राहीम अल्लाह के हुक्म के आगे अपने सबसे कीमती चीज को भी कुरबान कर सकते हैं या नहीं. और वो इस इम्तेहान में कामयाब होते हैं. इसी को देखते हुए मुसलमान बकरीद का त्यौहार मनाते हैं.
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इन रस्मों से पूरा होता है हज

मक्का जाने से पहले बहुत से हज यात्री मदीना जाते हैं, जहां पर इस्लाम के आखिरी पैगंबर मोहम्मद का रौजा-ए-मुबारक (कब्र) है. उन्होंने मदीना में ही पहली मस्जिद बनाई थी. मक्का में इबादत करने के बाद हज यात्री अराफात की पहाड़ी पर जाते हैं, जहां पैगंबर मोहम्मद ने अपना आखिरी खुतबा (प्रवचन) दिया था. इसके बाद हाजी मुजदलिफा नाम के इलाके में जाते हैं और शैतान को प्रतीकात्मक तौर पर पत्थर मारने के लिए रास्ते में से कंकड़ इकट्ठा करते हैं. रात वहां रुकने के बाद मीना आकर जमरात, मतलब शैतान को कंकड़ी मारते हैं. साथ ही कुरबानी भी करते हैं.

मीना में जहां हजारों टेंट लगे थे. टेंट में एसी, लाइट और रहने की सारी सुविधा मौजूद थी.फोटो: शादाब मोइज़ी 

हज के समापन पर पुरुष हाजी अपना सर मुंडवाते हैं जबकि महिला हाजी अपने थोड़े से बाल कटवाती हैं. फिर हाजी मक्का वापस लौट आते हैं.

बकरीद का त्योहार

दुनियाभर में मुसलमान हज के समापन पर ईद-उल-अजहा या जुहा या बकरीद का त्योहार मनाते हैं. ईद-उल-अजहा को अल्लाह के लिए पैगंबर इब्राहीम की बेटे की कुर्बानी देने की इच्छा के याद में मनाया जाता है. इस दिन मुसलमान भेड़, बकरे और अन्य मवेशियों की कुर्बानी देते हैं और गोश्त को गरीबों में बांटते हैं.

(इनपुट: भाषा)

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