advertisement
थाईलैंड की सीमा से सटे म्यांमार की पूर्वी सरहद पर म्यांमार की सेना यानी जुंटा और करेन नेशनल लिबरेशन आर्मी के विद्रोहियों के बीच लड़ाई छिड़ गई हैं. इसके बाद इलाके के करीब 3 हजार लोगों को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. दरअसल जुंटा के खिलाफ करेन नेशनल लिबरेशन आर्मी ने जंग छेड़ रखी है. वे चाहते हैं कि थाईलैंड की सीमा से लगे म्यांमार के सूबे से सेना का अस्तित्व खत्म हो जाए.
सेना के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले विद्रोहियों ने 11 अप्रैल को सीमा के म्यांमार की ओर प्रमुख व्यापारिक शहर मयावाडी (Myawaddy) पर कब्जा कर लिया था. इस शहर का हाथ से निकल जाना सेना के लिए एक बड़ा झटका है.
गौरतलब है कि म्यांमार की सरकारी मीडिया में इस खबर को लेकर कोई कवरेज नहीं है.
ब्रिटिश अखबार द गार्जियन की रिपोर्ट में म्यांमार और थाईलैंड की सीमा से सटे इलाके में प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से बताया गया है कि उन्होंने शुक्रवार देर रात से शनिवार तक विस्फोटों और भारी मशीनगनों से गोलीबारी की आवाज सुनी है.
म्यांमार के एक निजी समाचार प्रसारक डीवीवी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि शनिवार को करेन राज्य में मयावाडी टाउनशिप के ऊपर उड़ान भरते समय एक हेलीकॉप्टर को भी निशाना बनाया गया.
सैन्य तख्तापलट के दौरान 1 फरवरी, 2021 को आंग सान सू की निर्वाचित नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद सेना ने शासन संभाली. जेल में बंद नेताओं को कथित तौर पर 17 अप्रैल को उनकी जेल की कोठरियों से हाउस अरेस्ट में भेज दिया.
थाईलैंड की सेना और म्यांमार के स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, करीब 3 हजार लोगों ने म्यांमार छोड़ दिया और थाईलैंड के शहर मे सोट की ओर कूच कर गए हैं. ये लोग थाईलैंड में शरण की तलाश में हैं.
म्यांमार की सेना जुंटा पर ये हमले करेन नेशनल लिबरेशन आर्मी और उसके सहयोगी कर रहे हैं. इसके जवाब में जुंटा ने हवाई हमला किया. इससे स्थानीय निवासियों में डर माहौल पैदा हो गया और वे थाईलैंड की ओर चले गए.
थाई मीडिया समूह खाओसोद ने बताया कि शनिवार को माई सोत जिले के बान वांग ताकियान ताई में लगभग 1,200 शरणार्थियों को दो अस्थायी आश्रयों में ले जाया गया है. मयावाडी विशेष रूप से जुंटा के लिए अहम है. ये शहर 12 महीनों में शहर से 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के व्यापार का केंद्र रहा है.
इसी महीने म्यांमार के रखाइन प्रांत (Rakhine Province) में अराकन विद्रोहियों ने जुंटा के खिलाफ मोर्चो खोल दिया था. तब सेना ने कथित तौर पर जबरन रोहिंग्या मुसलमानों को सेना में भर्ती किया था. अराकन आर्मी एक स्वायत्त राज्य के लिए लड़ रही है. वह अन्य जातीय सेनाओं और विपक्षी समूहों के साथ सैन्य जुंटा को सत्ता से उखाड़ फेंकने और म्यांमार में एक नई संघीय प्रणाली बनाने के लिए सैन्य अभियान चला रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined