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म्यांमार की सैन्य सरकार ने बढ़ती वैश्विक आलोचना को ध्यान में रखते हुए पिछले दो दिनों में 2,000 से अधिक कैदियों को रिहा किया है. शासन के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन टुन के अनुसार, रिहा किए गए अधिकांश लोगों पर शासन विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था.
उन्होंने गुरुवार को बर्मी मीडिया को बताया, कुल 2,296 लोगों को रिहा किया गया है. उन्होंने विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया, लेकिन वे प्रमुख भूमिकाओं में नहीं थे. उन्होंने हिंसक कृत्यों में भाग नहीं लिया.
एएपीपी पदाधिकारियों ने कहा कि 4,000 से अधिक राजनीतिक कैदी अभी भी नजरबंद हैं. यांगून की कुख्यात इनसेन जेल से म्यांमार नाउ की रिपोर्टर मा के जोन नेवे सहित 721 बंदियों को रिहा कर दिया है, जो चार महीने से अधिक समय से हिरासत में थे.
उन्हें फरवरी के अंत में यांगून में एक विरोध प्रदर्शन को कवर करते हुए गिरफ्तार किया गया था और उन पर उकसाने का आरोप लगाया गया था.उन्होंने एफबी मैसेंजर पर आईएएनएस को बताया, मुझे रिलीज के लिए किसी प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर नहीं करना पड़ा.
इन सभी को फरवरी के अंत में यांगून में शासन विरोधी प्रदर्शनों को कवर करते हुए हिरासत में लिया गया था और उन पर उकसाने का आरोप लगाया गया था.
फ्रंटियर म्यांमार के प्रबंध संपादक डैनी फेनस्टर, थानलिन पोस्ट के प्रधान संपादक मा तू तू था, मिज्जिमा न्यूज एजेंसी के सह-संस्थापक मा थिन थिन आंग और मायितकीना जर्नल के रिपोर्टरों सहित कई पत्रकार अभी भी जेल में हैं.
बुधवार और गुरुवार को पाथेन, दावाई, श्वेबो, लैशियो और अन्य जगहों की जेलों ने भी बंदियों को रिहा किया. सरकार विरोधी सक्रियता के लिए उकसाने के आरोप में 24 मशहूर हस्तियों के खिलाफ जुंटा ने आरोप हटा दिए थे, जिसके बाद अब कैदियों को रिहा करने का कदम उठाया गया है.
एएपीपी के संयुक्त सचिव यू बो ची ने आईएएनएस से कहा, किसी भी रिलीज का लक्ष्य वास्तविक सुधार होना चाहिए और इसमें डाव आंग सान सू की की रिहाई शामिल होनी चाहिए. हिंसा खत्म होनी चाहिए और यातना और हत्या करने वालों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसे ढील के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहिए और सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई और लोकतंत्र की वापसी के लिए दबाव जारी रखना चाहिए.
रिहाई का सिलसिला पिछले हफ्ते तब शुरू हुआ, जब आंग सान सू की के मीडिया प्रमुख यू जॉ हते को पांच महीने की हिरासत के बाद रिहा कर दिया गया.
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