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इजरायल में चल रही सियासी उठापटक के बीच नफताली बेनेट वहां के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो वह इजरायल के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले बेंजामिन नेतन्याहू की जगह लेंगे. बेनेट ने लंबे वक्त तक नेतन्याहू के साथ काम किया है और वह खुद को नेतन्याहू से ज्यादा दक्षिणपंथी बता चुके हैं.
49 वर्षीय बेनेट राजनीतिक में आने से पहले टेक एंटरप्रेन्योर रह चुके हैं. एक पूर्व स्पेशल फोर्स कमांडो, बेनेट अमेरिका में जन्मे माता-पिता के बेटे हैं. बेनेट अभी अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ इजरायल के रानाना में रहते हैं.
फरवरी में बेनेट ने टाइम्स ऑफ इजरायल से कहा था, ''मैं बीबी (नेतन्याहू) की तुलना में ज्यादा दक्षिणपंथी हूं, लेकिन मैं राजनीतिक रूप से खुद को बढ़ावा देने के लिए एक टूल के रूप में नफरत या ध्रुवीकरण का इस्तेमाल नहीं करता हूं.'' बेनेट को अर्थव्यवस्था पर अति-उदार माना जाता है और वह ईरान के खिलाफ आक्रामक रुख के लिए जाने जाते हैं.
एक बार उन्होंने यह कहते हुए विवाद खड़ा कर दिया कि वेस्ट बैंक कब्जे में नहीं है क्योंकि "यहां कभी भी फिलिस्तीनी स्टेट नहीं था.'' उन्होंने यह भी कहा था कि इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान नहीं किया जा सकता, इसे सहन किया जाना चाहिए.
बेनेट ने साल 2005 में अपने टेक स्टार्टअप को 145 मिलियन डॉलर में बेचने के बाद राजनीति में कदम रखा, और अगले साल वह नेतन्याहू के चीफ ऑफ स्टाफ बन गए, जो उस समय विपक्ष में थे.
बेनेट ने 2006 और 2008 के बीच नेतन्याहू के लिए वरिष्ठ सहयोगी के रूप में काम किया. हालांकि, नेतन्याहू के साथ संबंधों में खटास आने के बाद उन्होंने नेतन्याहू की लिकुड पार्टी छोड़ दी.
नेतन्याहू का साथ छोड़ने के बाद, बेनेट 2010 में येशा काउंसिल के प्रमुख बने, जो 'कब्जे वाले वेस्ट बैंक' में यहूदियों के बसने की लॉबी करती है.
2012 में बेनेट ने धुर दक्षिणपंथी ज्यूइश होम पार्टी की कमान संभाली, जो उस वक्त बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही थी.
इस बीच, 2018 में बेनेट ज्यूइश होम पार्टी की यामिना पार्टी के तौर पर रीब्रैंडिग कर चुके थे. नेतन्याहू सरकार से बाहर आने के बाद बेनेट ने, 2020 में कोरोना वायरस महामारी के कहर के बीच, स्वास्थ्य संकट पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी दक्षिणपंथी बयानबाजी को कम कर दिया.
उन्होंने नवंबर में आर्मी रेडियो से कहा था, "अगले सालों में हमें राजनीति और फिलिस्तीनी स्टेट जैसे मुद्दों को अलग रखना होगा और कोरोना वायरस महामारी पर नियंत्रण पाने, अर्थव्यवस्था को ठीक करने और आंतरिक दरारों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा."
प्रधानमंत्री नेतन्याहू के विरोधी उनके 12 साल के शासन को खत्म करने के लिए एक गठबंधन सरकार के गठन की मशक्कत कर रहे हैं. इसके लिए उनके पास बुधवार मध्यरात्रि तक का वक्त है. हालांकि विपक्षी नेताओं का कहना है कि वे गठबंधन बनाने के करीब हैं.
समयसीमा खत्म होने से पहले विपक्ष को राष्ट्रपति को यह सूचना देनी होगी कि उनके पास 120 सदस्यीय नेसेट में कम से कम 61 सदस्यों का समर्थन है. इसके बाद उन्हें विश्वास मत हासिल करना होगा.
अगर विपक्ष बुधवार मध्यरात्रि की समयसीमा तक राष्ट्रपति को अपनी सफलता की सूचना नहीं दे पाया तो देश में दो साल के भीतर ही पांचवीं बार चुनाव की स्थिति बन जाएगी. ऐसे में नेतन्याहू को पद पर बने रहने का एक और मौका मिल जाएगा, जो भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमे का सामना भी कर रहे हैं.
(टाइम्स ऑफ इजरायल और अल जजीरा के इनपुट्स के साथ)
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Published: 02 Jun 2021,06:55 PM IST