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नेपाल में एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है. नेपाल के कार्यवाहक पीएम केपी ओली को सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी से निकाल दिया गया है. इसके अलावा पार्टी से उनकी सदस्यता को भी खत्म कर दिया गया है. इसके बाद नेपाल में सियासी तूफान खड़ा हो चुका है, पिछले कई महीनों से पीएम ओली के खिलाफ लगातार बगावती सुर उठ रहे थे, जिसके बाद अब उन्हें पार्टी से निकाला गया है.
पार्टी से हटाए जाने के कुछ ही घंटे पहले पीएम केपी ओली को संसदीय नेता के पद से हटाया गया था. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में पिछले कुछ समय से दो गुट बने हुए हैं. जिनमें से एक धड़ा पीएम केपी ओली की तरफ और दूसरा पुष्प कमल दहल प्रचंड की तरफ है. प्रचंड लगातार केपी ओली के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे थे. जिसमें अब एक हद तक वो कामयाब भी होते दिख रहे हैं.
केपी ओली को संसदीय नेता के पद से हटाए जाने के बाद पुष्प कमल दहल प्रचंड को संसदीय दल का नया नेता चुना गया. इसके अलावा केपी ओली को पहले ही पार्टी अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था. असली विवाद तब बढ़ा था, जब ओली ने संसद भंग करने के लिए राष्ट्रपति के पास आवेदन दिया था. इसके बाद ओली कैबिनेट के करीब 7 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था. ये सभी पार्टी के ही दूसरे धड़े के समर्थक थे.
अब राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने पीएम ओली के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और मध्यवर्ती आम चुनाव की भी घोषणा हो चुकी है. नेपाल में 30 अप्रैल को पहले चरण और 10 मई को दूसरे चरण का चुनाव होगा. कम्युनिस्ट पार्टी में फिलहाल प्रचंड धड़ा ही मजबूत दिखाई दे रहा है.
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