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नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड (Pushpa Kamal Dahal) की इस टिप्पणी के लिए आलोचना की जा रही है कि हिमालयी राष्ट्र में 'भारत ही प्रधानमंत्री बनाता है'.
सरदार प्रीतम सिंह पर किरण दीप संधू द्वारा लिखित पुस्तक के विमोचन के लिए सोमवार को आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए प्रचंड ने कहा कि प्रीतमपाल एक बार उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए पैरवी करने के लिए भारत गए थे.
कई साल पहले भारत छोड़ने के बाद प्रीतम का परिवार अब काठमांडू में बस गया है और प्रचंड सहित नेपाल के तमाम राजनीतिक नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध हैं.
प्रीतम की बेटी ने 'रोड्स टू द वैली: द लिगेसी ऑफ सरदार प्रीतम सिंह इन नेपाल' किताब लिखी.
भारत संबंधों को बढ़ाने में प्रीतम सिंह द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना करते हुए प्रचंड ने कहा कि प्रीतम पाल सिंह ने लगभग आठ साल पहले उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए दिल्ली और काठमांडू में पैरवी की थी.
प्रचंड ने कहा, ''उन्होंने एक बार मुझे प्रधानमंत्री बनाने के लिए काफी प्रयास और मेहनत की थी. वह मुझे प्रधान मंत्री बनाने के लिए कई बार नई दिल्ली गए और उस उद्देश्य के लिए काठमांडू में राजनीतिक नेताओं के साथ लगातार कई दौर की बातचीत की.”
इस टिप्पणी की विपक्ष ने तुरंत निंदा की, सीपीएन-यूएमएल ने आलोचना करते हुए कहा कि संसद प्रधानमंत्री बनाती है, भारत नहीं. वहीं बयान के मद्देनजर यूएमएल ने बुधवार और गुरुवार को संसद की कार्यवाही में बाधा डाली.
यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने कहा कि प्रचंड को अपने बयान के लिए इस्तीफा देना चाहिए और न कि स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए.
ओली ने कहा, "उन्होंने संप्रभु संसद की भूमिका और लोगों के फैसले को कमजोर कर दिया है.
निचले सदन में बोलते हुए, यूएमएल विधायक रघुजी पंत ने कहा, “प्रधानमंत्री को नैतिक आधार पर इस्तीफा देना चाहिए. हमें दिल्ली द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री की जरूरत नहीं है.''
सत्तारूढ़ दलों की एक बैठक में हालांकि यह निष्कर्ष निकला कि प्रचंड ने नेक इरादे से टिप्पणी की और प्रीतम के योगदान पर प्रकाश डाला, इसलिए उन्हें विपक्षी दलों की मांग के अनुसार इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है.
सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के राजेंद्र पांडे ने पूछा, "प्रधानमंत्री को इस्तीफा क्यों देना चाहिए?" उन्होंने कहा कि यूएमएल द्वारा निभाई जा रही भूमिका संसद की भावना के खिलाफ है."
विपक्षी दलों के व्यवधान के बाद प्रतिनिधि सभा की बैठक शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है. उनके बयान पर विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष ने भी असंतोष जताया है. विश्व प्रकाश शर्मा ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, “प्रधानमंत्री की टिप्पणी आलोचना के योग्य है. उनकी टिप्पणी गलत है.”
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