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नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने देश की प्रतिनिधि सभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी CPN-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और CPN-माओवादी सेंटर (CPN-MC) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ''प्रचंड'' के बीच सत्ता-साझेदारी पर सहमति न बन पाने के बाद नेपाल में पांच दलों का सत्तारूढ़ गठबंधन रविवार को टूट गया था, जिसके बाद देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में दहल को राष्ट्रपति ने नियुक्त किया.
संविधान के इस अनुच्छेद में ये प्रावधान है कि "प्रतिनिधि सभा का सदस्य जो दो या दो से अधिक पार्टियों के समर्थन से बहुमत प्राप्त कर सकता है" को प्रतिनिधि सभा में प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है.
प्रचंड ने रविवार को राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास 'शीतलनिवास' पहुंचकर अपना दावा पेश किया था कि प्रधानमंत्री पद के लिए 170 से ज्यादा सांसदों ने उनका समर्थन किया है. इससे पहले नेपाल में राजनीतिक घटनाक्रम ने उस वक्त नाटकीय मोड़ ले लिया जब विपक्षी CPN (UML) और अन्य छोटी पार्टियों ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के चेयरमैन पुष्प कमल दाहाल 'प्रचंड' को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन देने का एलान कर दिया. इसके साथ ही प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया.
बता दें, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली विपक्षी CPN (UML), CPN (माओवादी सेंटर), राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और अन्य छोटी पार्टियां प्रचंड के नेतृत्व में नई सरकार के गठन के लिए सहमत हो गई हैं. पूर्व प्रधानमंत्री ओली के बालकोट स्थित निवास स्थल पर हुई इस मीटिंग में उनके अलावा प्रचंड, RSP अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजांतत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंग्देन, जनता समानवादी पार्टी के अध्यक्ष अशोक राय समेत अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया. इस बात को लेकर सहमति बनी है कि प्रचंड और ओली बारी-बारी से सरकार का नेतृत्व करेंगे जिसमें पहली बारी प्रचंड को मिलेगी.
बता दें, प्रधानमंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-माओवादी सेंटर (CPN-MC) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ''प्रचंड'' के बीच सत्ता-साझेदारी पर सहमति न बन पाने के बाद नेपाल में पांच दलों का सत्तारूढ़ गठबंधन रविवार को टूट गया. सीपीएन-एमसी के सचिव गणेश शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री देउबा द्वारा पांच-वर्षीय कार्यकाल के पूर्वार्द्ध में प्रधानमंत्री बनने की प्रचंड की शर्त खारिज करने के बाद प्रधानमंत्री आवास बालुवातार में हुई वार्ता विफल रही.
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