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संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में कश्मीर पर चीन और पाकिस्तान की चाल फेल हो गई. परिषद में कश्मीर मुद्दे पर बैठक तो हुई लेकिन न तो परिषद ने कोई बयान जारी किया न ही इसपर औपचारिक बैठक बुलाने की पाकिस्तान की मांग को स्वीकार किया. बावजूद इसके पाकिस्तान बंद दरवाजों के पीछे हुई बैठक को अपनी जीत बता रहा है. पाकिस्तान के अखबार ऐसा दावों से पटे पड़े हैं.
पाकिस्तान की प्रमुख न्यूज वेबसाइट डॉन ने खबर को प्रमुखता देते हुए लिखा, '1965 के बाद पहली बार सुरक्षा परिषद ने जम्मू-कश्मीर पर विशेष बातचीत की है. इससे भारत का कश्मीर समस्या पर वो दावा खारिज होता है, जिसमें इसे आंतरिक मामला बताया जा रहा है.'
झांग जुन के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया,‘सुरक्षा परिषद के सदस्य कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थित पर चिंतित हैं. संबंधित पार्टियों को कोई ऐसा एक्शन नहीं लेना चाहिए, जिससे पहले से गंभीर स्थिति और खराब हो जाए.’ डॉन की खबर में पाकिस्तान की यूएन एंबेसडर का स्टेटमेंट भी जोड़ा गया है.’
पाकिस्तान के एक और प्रमुख न्यूज ऑर्गेनाइजेशन ट्रिब्यून एक्सप्रेस ने सुरक्षा परिषद के बाद रक्षामंत्री शाह महमूद कुरैशी के स्टेटमेंट और यूएन एंबेसडर मलीहा लोधी के बयान को प्रमुखता दी है.
रिपोर्ट में आगे लिखा गया, 'भारत ने इस कार्रवाई को रोकने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं मिली. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कश्मीर पर भारत के उस दावे को खारिज किया है, जिसमें इसे आंतरिक मामला बताया जाता रहा है.’’
डेली टाइम्स में भी जियो न्यूज की तरह यूएन एंबेसडर मलीहा लोधी के बयान को प्रमुखता से लिखा है.
सुरक्षा परिषद ने रूस ने भारत का पक्ष लिया. रूस के मुताबिक जम्मू-कश्मीर से 370 को हटाना भारत का अंदरूनी मामला है. परिषद की बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा है कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 370 से जुड़ा मामला पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है.
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