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पाकिस्तान सरकार ने देश की संपत्ति को "दूसरे देशों को बेचने के क्रम में लागू होने वाले कानूनों को खत्म करने वाला" एक अध्यादेश पारित किया है. मतलब अब इन बिक्रियों पर किसी तरह का रेगुलेटरी कानून लागू नहीं होगा.
इसके लिए कैबिनेट ने देश की खस्ता होती माली हात को जिम्मेदार बताया है. कैबिनेट के मुताबिक डिफाल्ट होने से बचने के लिए संपत्तियों को तेजी से बेचना ही एक आपात उपाय है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक एलएनजी से चलने वाले दो पॉवर प्लांट को दूसरे देशों (जैसे यूएई) को बेचने के लिए इन रेगुलेटरी कानूनों को निरस्त किया गया है.
इस मुद्दे पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से ट्विटर पर जमकर भिडंत भी हुई. इमरान खान ने मौजूदा सरकार को महाभ्रष्ट बताते हुए इस तरह देश की संपत्ति सीधे बेचने की ताकत कैबिनेट के हाथ में देने पर सवाल उठाए.
कैबिनेट ने अब रेगुलेटरी चेक के लिए जरूरी सभी कानूनों को निरस्त कर दिया है, इसमें इस चेकिंग से संबंधित 6 अहम कानून भी थे. यह कानून थे-
कंपनीज एक्ट, 2017,
प्राइवेटाइजेशन कमीशन ऑर्डिनेंस 2000,
पब्लिक प्रोक्यूरमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑर्जिनेंस 2002,
पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप अथॉरिटी एक्ट, 2017
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ऑफ पाकिस्तान एक्ट, 1997,
सिक्योरिटीज एक्ट, 2015.
पाकिस्तान की माली हालत बेहद खराब हो चली है. पिछले दिनों यूएई ने पाकिस्तान को और कर्ज देने से इंकार कर दिया था. यूएई का कहना है कि पाकिस्तान पिछले कर्जों को चुकाने में नाकामयाब रहा था. इसके लिए यूएई ने पाकिस्तानी कंपनियों में हिस्सेदारी को खोलने की मांग रखी थी.
इसी के तहत पाकिस्तान सरकार के स्वामित्व वाली तेल और गैस कंपनियों के कुछ हिस्सों को कैबिनेट ने गुरुवार को यूएई को बेचने का फैसला किया है, ताकि 2 से 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर सा फंड इकट्ठा किया जा सके.
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