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पाकिस्तान: क्या चुनाव से पहले इमरान खान को मिलेगी राहत? किस केस में सजा का खतरा?

Imran Khan का दावा है कि यह केस राजनीति से प्रेरित है और इसका मकसद उन्हें राजनीतिक दौड़ से बाहर करना है.

आईएएनएस
दुनिया
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<div class="paragraphs"><p>Pakistan:&nbsp;क्या चुनाव से पहले इमरान खान को मिलेगी राहत? किस केस में सजा का खतरा?</p></div>
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Pakistan: क्या चुनाव से पहले इमरान खान को मिलेगी राहत? किस केस में सजा का खतरा?

(फोटो- Altered by quint)

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पाकिस्तान (Pakistan) आम चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया के लिए एक कार्यवाहक व्यवस्था यानी अंतरिम सरकार लाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की कानूनी लड़ाई जारी है. मौजूदा वक्त में इमरान के खिलाफ देशद्रोह, भ्रष्टाचार, राज्य के रहस्यों को उजागर करने और अवमानना ​​सहित दर्जनों मामले दर्ज हैं, इससे उन्हें अदालतों से राहत पाने के तरीके खोजने के लिए अपनी कानूनी टीम के साथ बातचीत कर रहे हैं.

कई महीनों से इमरान खान और उनकी टीम मामलों की वैधता पर सवाल उठाकर, जमानत लेने या कार्यवाही का हिस्सा बनकर कानूनी सुनवाई से निपटने की कोशिश कर रही है. हालांकि गंभीर मामलों में ये कोशिशें भी कारगर नहीं साबित हो रही हैं.

इससे इमरान खान पर गिरफ्तारी, राजनीतिक अयोग्यता और कुछ मामलों में मृत्युदंड की भी तलवार लटक रही है. कुछ प्रमुख मामले, जो पूर्व प्रधानमंत्री के राजनीतिक करियर को खतरे में डाल सकते हैं, वे हैं तोशखाना, अल-कादिर ट्रस्ट फंड और सिफर जांच.

इमरान खान के खिलाफ कितने केस हैं?

तोशखाना केस: तोशखाना (उपहार भंडार) मामले में इमरान खान पर विभिन्न राजनयिकों और देशों के राष्ट्राध्यक्षों से प्रधानमंत्री के रूप में प्राप्त उपहारों को अवैध रूप से बेचने का आरोप है.

पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) ने तोशाखाना संदर्भ में एक ऐतिहासिक फैसला जारी किया था, जिसमें इमरान खान को करीब पांच साल के लिए सार्वजनिक पद संभालने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

अल-कादिर ट्रस्ट फंड केस: इस मामले में इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी पर अल-कादिर विश्वविद्यालय नामक एक शैक्षणिक संस्थान बनाने के लिए बिजनेस टाइकून मलिक रियाज से अरबों रुपये की जमीन लेने का आरोप है. रियल एस्टेट बिजनेसमैन रियाज के साथ अवैध सौदे से राष्ट्रीय खजाने को 239 मिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है.

रियाज ने सरकार के चैनलों का उपयोग करके इमरान खान के खाते में पैसे भेजने के लिए बंद दरवाजे की बैठकों के जरिए व्यवस्था की और तत्कालीन प्रधानमंत्री को उस पैसे का उपयोग जमीन खरीदने और पंजाब के मियांवाली के पास अल-कादिर ट्रस्ट विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए करने की पेशकश की.
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इसके अलावा रियाज ने कथित तौर पर खान की पत्नी को हीरे भी दिए और पूर्व प्रधान मंत्री के सहायोग के बदले में कई एकड जमीन भी खरीदी. इमरान खान और बुशरा बीबी अल-कादिर ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं.

हालांकि, यह एक तथ्य है कि इमरान खान जानबूझकर खुद को राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (NAB) द्वारा की जा रही मामले की जांच से दूर रख रहे हैं, इसके नतीजे में जांच में सहयोग न करने पर उनकी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है.

इमरान खान का दावा है कि यह केस राजनीति से प्रेरित है और इसका मकसद उन्हें राजनीतिक दौड़ से बाहर करना है.

सिफर विवाद: तीसरा अहम केस सिफर का है, जो मशहूर पेपर फ्लैश है, जो खान ने इस्लामाबाद में एक सार्वजनिक रैली के दौरान किया था. इसमें दावा किया गया था कि उनके हाथ में एक राजनयिक तार है, जो उन्हें सत्ता से बेदखल करके शासन परिवर्तन की अमेरिकी नेतृत्व वाली साजिश का संकेत देता है.

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि खान के खिलाफ इन सभी मामलों के पीछे राजनीतिक मकसद है. सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उन्हें अगले चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर राजनीतिक दौड़ से बाहर कर दिया जाए.

(इनपुट- IANS)

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