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इमरान खान का पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनना अब तय है. लेकिन बहुमत से दूर होने के बावजूद उन्होंने जीत की स्पीच और शपथ से पहले कामकाज का रोडमैप बता दिया. पाकिस्तान के इन चुनावों में कई नई बातें हुई, आतंकवादी सरगना हाफिज के गुर्गे हार गए और भी बहुत से सरप्राइज भी देखने को मिले.
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क्रिकेटर से नेता बने इमरान ने अपने करियर 24 बार 5 विकेट लिए हैं. राजनीति में भी उन्होंने अपना ये रिकॉर्ड बनाए रखा है. जियो टीवी के मुताबिक उन्होंने पांच सीटों से चुनाव लड़ा और जीते.
ये हैं वो पांच सीटें- बन्नू, इस्लामाबाद, मियांवाली, लाहौर और करांची.
मुंबई 26/11 हमले का मास्टर माइंड और लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी हाफिज सईद ने 265 उम्मीदवारों को उतारा था. लेकिन सबको हार मिली थी. सईद का बेटा हाफिज तल्हा और दामाद खालिद वलीद भी तक चुनाव हार गए हैं.
चुनाव लड़ने वाले दिग्गजों में से पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी भी ऐसे उम्मीदवार रहे जिनको हार गए. उन्होंने नवाज शरीफ को आयोग्य करार करने के बाद खकान ने सीट संभाली थी. चुनाव में उन्होंने रावलपिंडी और इस्लामाबाद से चुनाव लड़ा था.
दोनों जगह पाकिस्तान मुस्लिम लीग - नवाज (पीएमएल-एन) के उम्मीदवार हार गए. जबकि रावलपिंडी की सीट पीएमएल-एन के लिए सुरक्षित मानी जाती है. अब्बास के पिता ने भी पहली बार इसी सीट से 1985 में चुनाव जीता था.
अब्बासी 1990, 1993, 1997, 2008 और 2013 के आम चुनाव में जीतते रहे हैं, केवल 2002 में उनकी हार हुई थी.
पाकिस्तान का पंजाब प्रांत सबसे ज्यादा चर्चित क्षेत्र हैं. यहां कुल 272 सीटों में से 139 सीटे हैं. इमरान की पार्टी पीटीआई ने न सिर्फ जबरदस्त जीत हासिल की है बल्कि पीएमएल-एन के पंजाब प्रांत में भी सेंध लगाई है. IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 निर्दलीय उम्मीदवारों ने सरकार बनाने के लिए इमरान की पार्टी से हाथ मिलाया है.
पीएमएल-एन के चीफ शाहबाज शरीफ ने तीन संसदीय सीटों से चुनाव लड़ा - कराची, स्वात और लाहौर. लेकिन स्वात और करांची में पीटीआई के उम्मीदवारों ने बाजी मारी. उन्होंने केवल लाहौर सीट पर सफलता मिली
पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक कराची में पीटीआई के उम्मीदवारों ने 21 में से 12 सीटें जीती.
पहली बार उभरी धार्मिक पार्टी तहरीक लबैक पाकिस्तान ने इस चुनाव में अब तक की पहली सीट जीती. द न्यूज इंटरनेशनल के मुताबिक ये सीट सिंध असेंबली की है. टीएलपी 2016 में एक आंदोलन से निकली पार्टी है.
(पीटीआई इनपुट के साथ)
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