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पाकिस्तान आम चुनाव 2018: जानिए कौन-कौन हैं अल्पसंख्यक उम्मीदवार

पाकिस्तान के इस चुनाव की एक बड़ी खास बात ये है कि इसमें इस बार समाज के सभी हिस्सों की भागीदारी दिख रही है. 

अहमद सईद
दुनिया
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पाकिस्तान में आम चुनाव 25 जुलाई को होंगे
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पाकिस्तान में आम चुनाव 25 जुलाई को होंगे
(फोटो: श्रुति माथुर/क्विंट हिंदी)

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अब से कुछ ही दिन बाद तमाम राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच पाकिस्तान का 11वां आमचुनाव होगा. राजनीतिक दलों ने साफ-सुथरे चुनाव पर मंडराते संकट को लेकर गंभीर चिंताएं जाहिर की हैं. मीडिया सेंसरशिप के काले बादल पूरे राजनीतिक परिदृश्य में छाये हैं. इन सबके बावजूद आम लोगों को नई सरकार से काफी उम्मीदें हैं. पाकिस्तान के इस चुनाव की एक बड़ी खास बात ये है कि इसमें इस बार समाज के सभी हिस्सों की भागीदारी दिख रही है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.

पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार वहां के धार्मिक अल्पसंख्यक बड़ी तादात में सामान्य सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि इनमें से कई निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कुछ राजनीतिक पार्टियों ने भी अल्पसंख्यक वर्ग के उम्मीदवारों को राजनीतिक रूप से दमदार विरोधियों के खिलाफ मैदान में उतारा है. हालांकि इस वर्ग से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर प्रभावशाली राजनीतिक चेहरों ने अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीटों को ही चुना है. इनमें कई पूर्व सांसद और धार्मिक अल्पसंख्यक नेता भी शामिल हैं. नजर डालते हैं कुछ उन धार्मिक अल्पसंख्यक उम्मीदवारों पर, जो पाकिस्तान के इस आमचुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं...

रमेश कुमार वंकवानी

डॉक्टर वंकवानी सिंध के थारपरकर जिले के मीठी शहर से आते हैं. वंकवानी एक डॉक्टर हैं, जिन्होंने सिंध की प्रॉविंशियल असेंबली से 2002 में रिजर्व सीट से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी, तब वो सिंध के चीफ मिनिस्टर के सलाहकार थे.

डॉक्टर वंकवानी सिंध के थारपरकर जिले के मीठी शहर से आते हैं.(फोटो: Urdu Point)

2013 में डॉक्टर वंकवानी रिजर्व सीट से ही नेशनल असेंबली (एमएनए) के सदस्य बने. उन्हें पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) ने नॉमिनेट किया था. नेशनल असेंबली के मेंबर के तौर पर उन्होंने सिंध प्रांत में हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्मांतरण के मुद्दे को उठाया और संसद में हिन्दू मैरिज बिल को पास कराने के लिए लॉबिंग की. वंकवानी स्थानीय समाचार पत्रों में पाकिस्तान में हिन्दुओं की बदतर स्थिति को लेकर कॉलम भी लिखते रहते हैं.

पांच साल तक नेशनल असेंबली में रहने के बाद डॉक्टर वंकवानी ने पीएमएल-एन का साथ छोड़ दिया और उनकी विरोधी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) में शामिल हो गए. पार्टी बदलने का काम उन्होंने चुनाव के कुछ सप्ताह ही पहले किया. उन्हें उम्मीद है कि सुरक्षित सीट पर बतौर पीटीआई उम्मीदवार वो जरूर जीत हासिल करेंगे. डॉक्टर वंकवानी पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल के पैट्रन-इन-चीफ भी हैं. उनकी थारपरकर और उमरकोट जिले के हिन्दुओं के बीच गहरी पैठ है.

इसफानयर भंडारा

इसफानयर भंडारा पाकिस्तान के छोटे से पारसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं(फोटो: National Assembly of Pakistan)

इसफानयर भंडारा पाकिस्तान के छोटे से पारसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. वे मरे ब्रेवरी के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर हैं. ये कंपनी पाकिस्तान की अल्कोहलिक उत्पाद बनाने वाली सबसे पुरानी और सबसे बड़ी कंपनी है. भंडारा के पास बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री है. वे सबसे पहले 2013 में पीएमएल-एन के टिकट पर रिजर्व सीट से नेशनल असेंबली में पहुंचे. एक बार फिर वो रिजर्व सीट से ही नेशनल असेंबली के लिए चुनाव में हाथ आजमा रहे हैं. उनके पिता एमपी भंडारा भी रिजर्व सीट से नेशनल असेंबली के लिए चुने गए थे. एमपी भंडारा 2002 से 2007 तक नेशनल असेंबली के सदस्य रहे.

असिया नसीर

आसिया नसीर क्रिश्चियन कम्यूनिटी से ताल्लुक रखती हैं और बलूचिस्तान प्रांत से आती हैं. (फोटो: National Assembly of Pakistan)

आसिया नसीर क्रिश्चियन कम्यूनिटी से ताल्लुक रखती हैं और बलूचिस्तान प्रांत से आती हैं. नसीर 2002 से रिजर्व सीट से संसद के निचले सदन की सदस्य हैं. नसीर जेयूआई-एफ से जुड़ी हैं. ये मुस्लिम धर्मगुरुओं की दक्षिणपंथी पार्टी है. सांसद के तौर पर नसीर हमेशा देश में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं.

महेश कुमार मलानी

महेश कुमार मलानी भी सिंध के थारपरकर जिले के मीठी शहर के रहने वाले हैं. 2017 की जनगणना के मुताबिक थारपरकर जिले में 11 लाख से ज्यादा हिन्दू रहते हैं. 2013 के चुनाव में मलानी अकेले हिन्दू सदस्य थे जो पूरे पाकिस्तान में सामान्य सीट से चुनकर आए थे. मलानी तब अपने गृह शहर थारपरकर की संसदीय सीट से पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के टिकट पर सिंध की प्रॉविंशियल असेंबली के लिए चुने गए थे. उन्हें उस चुनाव में 41 हजार से ज्यादा वोट मिले थे.

महेश कुमार मलानी भी सिंध के थारपरकर जिले के मीठी शहर के रहने वाले हैं(फोटो: National Assembly of Pakistan)

इससे पहले 2008 से 2013 के बीच वे नेशनल असेंबली में भी रहे. तब वे रिजर्व सीट से चुने गए थे. इस बार मलानी रिजर्व सीट से नेशनल असेंबली के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. वे थारपरकर सीट से पीपीपी के उम्मीदवार हैं. इस इलाके में उनकी मजबूत पकड़ है और इस बात की काफी उम्मीद जताई जा रही है कि वो लोअर हाउस के लिए चुन लिए जाएं.

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राधा भील

महिला अधिकारों को लेकर लड़ने वाली भील दलित समुदाय से आती हैं. (फोटो: Twitter)

बाकी उम्मीदवारों से अलग राधा भील सामान्य सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं. ये उनकी पहली चुनावी परीक्षा है. महिला अधिकारों को लेकर लड़ने वाली भील दलित समुदाय से आती हैं. राधा भील कम उम्र में शादी और हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं. 2016 में दलित समुदाय के लोगों के साथ मिलकर राधा भील ने दलित सुजाग तहरीक (डीएसटी) नाम का संगठन बनाया था. इस संगठन का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक रूप से निचले पायदान पर रहने वाले और दलित वर्ग के लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ना है. इस बार सिंध की अलग-अलग सीटों पर डीएसटी ने अपने आठ उम्मीदवार उतारे हैं.

लेलन लोहार

50 साल की लेलन लोहर मीरपुर खास जिले की सीट से नेशनल असेंबली के लिए उम्मीदवार हैं. (फोटो: Twitter)

50 साल की लेलन लोहर मीरपुर खास जिले की सीट से नेशनल असेंबली के लिए उम्मीदवार हैं. दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाली लेलन रेहड़ी पर सामान बेचकर किसी तरह से गुजारा करती हैं. लेलन की शादी महज 11 साल की उम्र में कर दी गई थी और उनकी चार बेटियां हैं. सभी बेटियों की शादी 12 साल की उम्र के आसपास ही कर दी गई. उनकी एक बेटी की मौत 14 साल की उम्र में ही मां बनने की वजह से पैदा मेडिकल परेशानियों से हो गई थी. अपनी बेटी की इस तरह से मौत को लेकर लोहार इतनी व्यथित हो गई कि बच्चियों की जल्दी शादी के खिलाफ अभियान चलाने का फैसला कर लिया. लेलन लोहार भी दलित सुजाग तहरीक की सदस्य हैं.

खलील ताहिर सिन्धू

खलील ताहिर सिन्धू क्रिश्चियन हैं और पंजाब की पिछली पीएमएल-एन सरकार में प्रॉविंशियल मिनिस्टर रह चुके हैं(फोटो: YouTube/Catholic TV Pak)

खलील ताहिर सिन्धू क्रिश्चियन हैं और पंजाब की पिछली पीएमएल-एन सरकार में प्रॉविंशियल मिनिस्टर रह चुके हैं. वे पेशे से वकील हैं और औद्योगिक शहर फैसलाबाद से आते हैं. खलील ताहिर पहली बार 2008 में रिजर्व सीट से प्रॉविंशियल असेंबली के लिए चुने गए. जबकि दूसरी बार पीएमएल-एन ने उन्हें पंजाब प्रॉविंशियल असेंबली के लिए रिजर्व सीट से नॉमिनेट किया.

संजय पेरवानी

संजय पेरवानी मीरपुर खास सिटी की सामान्य सीट से मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के उम्मीदवार हैं(फोटो: National Assembly of Pakistan)

संजय पेरवानी मीरपुर खास सिटी की सामान्य सीट से मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के उम्मीदवार हैं. पेरवानी 2013 से 2018 तक रिजर्व सीट से नेशनल असेंबली के सदस्य रहे. इस बार एमक्यूएम ने उन्हें भी रिजर्व सीट से नॉमिनेट किया है. पेरवानी सिंध के एक बहुत ही प्रभावशाली हिन्दू परिवार से ताल्लुक रखते हैं.

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Published: 21 Jul 2018,07:40 PM IST

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