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पाकिस्तान (Pakistan) के राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी बनी हुई है. इमरान खान (Imran Khan) ने लाहौर (Lahore) से इस्लामाबाद (Islamabad) तक 28 अक्टूबर से एक मार्च शुरू करने का ऐलान किया है. दूसरी तरफ पाकिस्तान में देखा गया कि आईएसआई (ISI) प्रमुख पहली बार मीडिया के सामने आए और खुलकर इमरान खान को घेरा. ये सुर्खियां बताती हैं कि पाकिस्तान में बहुत कुछ चल रहा है.
पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान पर सीधे तंज कसते हुए, देश की टॉप खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम ने कहा कि, “अगर कमांडर-इन-चीफ देशद्रोही हैं, तो आप उनसे छिपकर क्यों मिले? मिलना आपका हक है, लेकिन यह नहीं हो सकता कि आप रात में उनसे मिलो और दिन में उन्हें देशद्रोही कहो.
उन्होंने कहा कि, “आपकी सरकार ने सेना प्रमुख को उनके कार्यकाल के दौरान अनिश्चित काल के लिए विस्तार की पेशकश की थी. लेकिन जनरल बाजवा ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया."
आईएसआई प्रमुख ने कहा कि उन्हें सार्वजनिक बयान देने के लिए मजबूर होना पड़ा जब उन्होंने देखा कि झूठ को आसानी से फैलाया जा रहा है और वे स्वीकार किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि, "मैंने तब चुप्पी तोड़ी जब मैंने देखा कि देश में 'फितना, फसाद' का खतरा सिर्फ इसलिए था क्योंकि झूठ को झूठ घोषित नहीं किया जा रहा था."
इमरान खान की पार्टी के महासचिव असद उमरी ने कहा कि, "आप इमरान खान द्वारा की गई आलोचना पर बहस कर सकते हैं, लेकिन वह जो कुछ भी कहते हैं वह सेना और देश की बेहतरी के लिए है. सेना की आलोचना करना उनका संवैधानिक अधिकार है."
पीटीआई के अध्यक्ष ने विदेशों में सशस्त्र बलों को "कभी भी" बदनाम नहीं किया है - चाहे यूनाइटेड किंगडम में या संयुक्त राज्य अमेरिका में. लेकिन इमरान खान सशस्त्र बलों के हर निर्णय से सहमत नहीं हैं. क्या सशस्त्र बलों के कुछ फैसले या कार्य हैं जिनकी वह आलोचना करते हैं? हां, वह निश्चित रूप से ऐसा करते हैं."
पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान ने मंगलवार को घोषणा की थी कि, देश की "हकीकी आजादी" के लिए इस्लामाबाद की ओर उनकी पार्टी का लॉन्ग मार्च 28 अक्टूबर, शुक्रवार को लाहौर के लिबर्टी चौक से शुरू होगा.
केन्या में पाकिस्तानी पत्रकार अरशद शरीफ की पुलिस की गोली से मौत के मामले इमरान खान ने मौत को टारगेट किलिंग बताया था. इमरान खान ने दावा किया है कि लोग इसे जो भी कहें, ये टारगेट किलिंग है. अरशद शरीफ की जान को खतरा था और हमने उन्हें जान के खतरे को देखते हुए देश छोड़ने की सलाह दी थी.
उन्होंने दावा किया कि अरशद शरीफ को लगातार धमकियां मिल रही थीं जिसे नजरअंदाज करते रहे. उन्होंने कहा कि अरशद शरीफ एक देशभक्त पत्रकार थे जो जान पर खतरे और धमकियों के बावजूद अडिग रहे.
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