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जाधव केस: पाकिस्तान ICJ में 17 जुलाई को दाखिल करेगा जवाबी हलफनामा

अपनी लिखित दलीलों में भारत ने पाकिस्तान पर वियना संधि के उल्लंघन करने का आरोप लगाया था.

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पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारत पिछले साल मई में आईसीजे में गया था
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पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारत पिछले साल मई में आईसीजे में गया था
(फोटो: The Quint)

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जासूसी के आरोप में पाकिस्‍तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान इंटरनेशनल कोर्ट (ICJ) में भारत के रुख पर 17 जुलाई को दूसरा लिखित जवाब दाखिल करेगा.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी. आईसीजे ने 23 जनवरी को भारत और पाकिस्तान, दोनों को इस मामले में दूसरे दौर के हलफनामे दाखिल करने की समय सीमा दी थी. जाधव को पिछले साल अप्रैल में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैजल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पाकिस्तान का यह जवाबी हलफनामा भारत की ओर से 17 अप्रैल को दाखिल हलफनामे के जवाब में होगा.

एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, अटॉर्नी खावर कुरैशी ने प्रधानमंत्री नसीरूल मुल्क को पिछले सप्ताह इस मामले की जानकारी दी थी. कुरैशी ने शुरुआत में इस मामले में पाकिस्तान की ओर से पैरवी की थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान और दूसरे वरिष्ठ अधिकारी भी मीटिंग में शामिल हुए थे. दूसरा हलफनामा पेश होने के बाद आईसीजे इस मामले में सुनवाई की तारीख तय करेगा, जिसके अगले साल होने की उम्मीद है.

इस साल मामले की सुनवाई मुश्किल

अंतरराष्ट्रीय मुकदमे के विशेषज्ञ एक वरिष्ठ वकील ने बताया कि इस साल इस मामले की सुनवाई होने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले ही कुछ दूसरे मामलों की सुनवाई अगले साल मार्च/अप्रैल तय कर दी गयी है. ऐसे में जाधव मामले की सुनवाई अगले साल गर्मियों में की जाएगी.

बता दें, पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारत पिछले साल मई में आईसीजे में गया था. इसके बाद आईसीजे ने 18 मई को पाकिस्तान पर मामले का निपटारा होने तक जाधव की सजा पर रोक लगा दी थी.

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दलीलों में भारत ने क्या कहा था?

अपनी लिखित दलीलों में भारत ने पाकिस्तान पर वियना संधि के उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. भारत का कहना है कि जाधव को राजनयिक मदद हासिल करने की छूट मिलनी चाहिए थी. भारत की दलील थी कि वियना संधि में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किसी व्यक्ति को ऐसी सुविधा नहीं दी जा सकती है.

जवाब में पाकिस्तान ने 13 दिसंबर में अपने जवाबी हलफनामे में आईसीजे से कहा कि दूतावास से जुड़ी वियना संधि 1963 वैध आंगुतकों पर ही लागू होती है, न कि गैरकानूनी अभियानों पर.

पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षाबलों ने तीन मार्च, 2016 को जाधव को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था, जहां वह ईरान से पहुंचे थे. लेकिन भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया, जहां वे नौसेना से रिटायर होने के बाद कारोबार कर रहे थे.

(इनपुट: भाषा)

ये भी पढ़ें- कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ने ये अच्छा नहीं किया

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