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नाम - आरिफ नकवी. पाकिस्तान के कराची में पैदा हुआ आरिफ लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एडमिशन लेता है. और दुनिया के अमीर लोगों के सामने इनवेस्टमेंट का ऐसा आइडिया रखता है, कि बिल गेट्स और गोल्डमैन सैक्स के सीईओ रहे लॉयड ब्लैंकफिन के साथ-साथ अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा तक उसके झांसे में आ जाते हैं. अब ये सब आरिफ ने कैसे किया? बताते हैं.
इक्विटी फर्म अबराज ग्रुप के प्रमुख आरिफ ने कथित रूप से निवेशकों को इंपैक्ट इनवेस्टिंग का लॉलीपॉप देकर उनसे अरबों हड़पे. इसके बाद उसने कंपनी के फंड से 780 मिलियन डॉलर निकाल भी लिए. जिनमें से 385 डॉलर का कोई हिसाब ही नहीं है. अब अगर आरोपी साबित होते हैं तो आरिफ को करीब 291 साल की सजा हो सकती है.
आरिफ ने साल 2003 में एक प्राइवेट इक्विटी फर्म बनाई. दावा किया कि इनवेस्टर को रिटर्न मिलने के साथ गरीबों की भी मदद होगी. गरीबों की मदद की बात कहकर उसने शुरुआत में ही मिडिल ईस्ट की सरकारों और कई बड़े राजघरानों और बिजनेसमैन से 118 मिलियन इकट्ठा कर लिए.
गरीबों की मदद वाली कहानी इतनी फायदेमंद निकली कि आरिफ ने दुनिया के सबसे स्मार्ट इनवेस्टर्स को भी अपने झांसे में ले लिया. साल 2010 में अमेरिका में हुए एक शिखर सम्मेलन में बराक ओबामा ने आरिफ को भी न्योता दिया. यही नहीं, अमेरिकी सरकार ने आरिफ को 150 मिलियन डॉलर दे दिए. उसने पश्चिम से धर्म के नाम पर भी काफी रुपया ऐंठा.
ऐसा नहीं था कि आरिफ ने कभी सच में दान किया ही नहीं. अपनी छवि बनाने के लिए ही सही, उसने अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स समेत दुनिया की कई युनिवर्सिटीज को लाखों डॉलर दान दिए. पाकिस्तान में अमन फाउंडेशन नाम का 100 मिलियन डॉलर का चैरिटी ऑर्गनाइजेशन खोला.
नकवी ने 2012 में अपने घर पर बिल गेट्स को इनवाइट किया. Bill Gates Foundation ने नकवी को 100 मिलियन डॉलर जारी कर दिए गए. जिसे देखकर अन्य निवेशकों ने भी 900 मिलियन डॉलर से ज्यादा निवेश कर दिए.
सवाल ये उठता है कि जब आरिफ को पैसा मिल रहा था और वो चैरिटी भी कर रहा था तो वो ठग कैसे हुआ? नहीं सच सिर्फ यही नहीं है. चैरिटी के साथ और भी बहुत कुछ चल रहा था जो दुनिया को नहीं दिख रहा था.
जिस अकाउंट में इमरजेंसी के लिए लाखों डॉलर होने चाहिए थे वो खाली रहता था. हर तिमाही के आखिर में जब रेगुलेटर्स को रिपोर्ट भेजनी होती थी, तो अकाउंट में पैसा डाल दिया जाता था उसके बाद काम होते ही उसे निकाल भी लिया जाता था.
9 जनवरी 2014 को अबराज ग्रुप के फाइनेंस डिपार्टमेंट की ओर से लेटर लिखकर बताया गया कि 15 जनवरी तक हमें 100 मिलियन डॉलर का नुक्सान होगा.
इसी बीच गेट्स फाउंडेशन के फंड मैनेजर एंड्रयू फार्नम को शक हुआ. उन्होंने सितंबर 2017 में ईमेल करके फंड से जुड़ा लेखा-जोखा मांगा. मेल का लहजा तो विनम्र था लेकिन नतीजे बुरे होने वाले थे.
अचानक से एक दिन अबराज के निवेशकों के पास कंपनी के ही अज्ञात कर्मचारी का मेल पहुंचा. ईमेल में लिखा गया था-
बस फिर क्या था सब कुछ ढहना शुरू हो गया.
नाराज इनवेस्टर अपना पैसा मांग रहे थे, इस दौरान भी अबराज ग्रुप नए फंड की जद्दोजहद में लगा हुआ था. अक्टूबर 2018 में द वॉल स्ट्रीट जर्नल में अबराज के कथित घपलों की पोल खोलता एक आर्टिकल पब्लिश हुआ. जिसमें बताया गया कि इनवेस्टर्स के कम से कम 660 मिलियन डॉलर बिना उनकी जानकारी के अबराज के छिपे हुए बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए गए.
10 अप्रैल 2019 को आरिफ नकवी लंदन से गिरफ्तार कर लिया गया. न्यूयॉर्क में उस पर केस चलाया जा सके, इसलिए उसके प्रत्यर्पण का भी आदेश दिया गया.
लेखकों ने किताब में नकवी की इस कथित चैरिटी को लेकर तंजिया लहजे में लिखा है - इस तरह से गरीबों की मदद करने के बजाय अगर आरिफ कराची की सबसे ऊंची बिल्डिंग से इनवेस्टर्स का रुपया हवा में उड़ा देता, तो शायद गरीबों की ज्यादा मदद हो जाती.
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