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दस देशों के मीडिया संस्थाओं और सैकड़ों पत्रकारों ने मिलकर पेगासस (Pegasus) स्पाइवेयर पर बड़ा खुलासा किया है. इस सॉफ्टवेयर के जरिए दुनिया भर की सरकारें पत्रकारों, कानून के क्षेत्र से जुड़े लोगों, नेताओं और यहां तक कि नेताओं के रिश्तेदारों की जासूसी करा रही हैं. निगरानी वाली लिस्ट में 1500 से ज्यादा नाम मिले. इस लिस्ट में 40 भारतीय पत्रकारों के नाम हैं. भारत , रवांडा समेत कई सरकारों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है. वहीं, कुछ देशों ने अभी चुप्पी साधी हुई है.
फ्रांस की संस्था Forbidden stories और एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty international) ने मिलकर ये जानकारी जुटाई और फिर दुनिया के कुछ चुनिंदा मीडिया संस्थानों से शेयर की है. इस जांच को 'पेगासस प्रोजेक्ट' (Pegasus Project) नाम दिया गया है.
भारत सरकार ने 'पेगासस प्रोजेक्ट' के आरोपों से इनकार किया है. सरकार ने कहा कि सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है. भारत सरकार ने अपने बयान में कहा, "भारत एक मजबूत लोकतंत्र है, जो अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए, इसने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 और आईटी नियम, 2021 को भी पेश किया है, ताकि सभी के निजी डेटा की रक्षा की जा सके और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूजर्स को सशक्त बनाया जा सके."
सरकार ने कहा कि अतीत में भारत सरकार के WhatsApp पर पेगासस का इस्तेमाल करने के ऐसे ही दावे किए गए थे. उन रिपोर्ट्स में भी कोई तथ्य नहीं था और भारतीय सुप्रीम कोर्ट में WhatsApp समेत सभी पक्षों ने इसका खंडन किया था.
हंगरी एक लोकतांत्रिक देश है, जहां कानून का राज है और जब बात किसी व्यक्ति की आती है तो कानून के मुताबिक ही कार्रवाई की जाती है. हंगरी में जिन सरकारी संस्थाओं को खुफिया तरीकों का इस्तेमाल अधिकृत किया गया है, उन्हें सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं मॉनिटर करती हैं.
क्या आपने ऐसे ही सवाल अमेरिका, यूके, जर्मनी या फ्रांस की सरकारों को भेजे हैं? अगर आपने भेजे हैं तो जवाब आने में कितना समय लगा और उन्होंने कैसे जवाब दिया? क्या किसी इंटेलिजेंस सेवा ने सवाल बनाने में आपकी मदद की है?
कृपया हमारा जवाब बिना बदलाव के पूरा छापिएगा.
मोरक्कन अथॉरिटीज ये समझ नहीं पा रही है कि इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ जर्नलिस्ट्स के सवालों का संदर्भ क्या है.
ये याद किया जाना चाहिए कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पहले जो निराधार आरोप छापे थे और फॉरबिडेन स्टोरीज ने हमें भेजे थे, उन पर मोरक्कन अथॉरिटीज ने आधिकारिक जवाब दे दिया है और आरोपों को खारिज किया गया है.
मोरक्कन अथॉरिटीज 22 जून 2020 से इंतजार कर रही हैं कि एमनेस्टी इंटरनेशनल कोई सबूत देगा.
रवांडा इस सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल नहीं करता है. ये नवंबर 2019 को भी पुष्टि की गई थी और इस तरह की टेक्निकल क्षमता नहीं रखता है. ये झूठे आरोप रवांडा और बाकी देशों के बीच तनाव पैदा करने और देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर गलत जानकारी फैलाने के कैंपेन का हिस्सा हैं.
ये प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाना है और बस बहुत हो गया है. पॉल रुसेसाबगीना और उनके 20 सह-आरोपियों पर चल रही आतंकवाद की सुनवाई पर कोर्ट सवालों का जवाब दे चुका है. साइबरसिक्योरिटी से जुड़ी भविष्य में किसी भी सवाल के लिए नेशनल साइबर सिक्योरिटी अथॉरिटी (NCSA) से संपर्क करें.
पेगासस सॉफ्टवेयर दुनियाभर में इजरायल की कंपनी NSO बेचती है. कंपनी ने इस लिस्ट को विवादित बताया है. NSO ने कहा कि लिस्ट उसके सॉफ्टवेयर की फंक्शनिंग से किसी तरह भी नहीं जुड़ी है.
द वायर और पेगासस प्रोजेक्ट के पार्टनर्स को कंपनी ने एक लेटर में कहा, "उसके पास ये विश्वास करने की वजह है कि लीक हुआ डेटा वो नंबर नहीं हैं, जो सरकारों ने पेगासस के इस्तेमाल से टारगेट किए हैं."
कंपनी का कहना है कि ये लिस्ट उन नंबरों की हो सकती है, जिन्हें NSO समूह कस्टमर ने किसी और काम के लिए इस्तेमाल किया है.
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