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पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को देशद्रोह के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई गई है. पेशावर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद की अगुवाई वाली बेंच ने 17 दिसंबर को 2-1 के बहुमत से मुशर्रफ को यह सजा सुनाई है.
डॉन के मुताबिक 3 नवंबर 2007 को तब के पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इमरजेंसी लगाई और 1973 के संविधान को रद्द कर दिया. कई जजों को बंधक बना लिया और न्यायिक व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया. सभी प्राइवेट चैनलों को ऑफ एयर कर दिया गया. सिर्फ राज्य के कंट्रोल वाले चैनल पीटीवी ने इमरजेंसी लगने का समाचार सुनाया. इमरजेंसी लगाने के पीछे ‘उग्र तत्वों का बढ़ता प्रभाव’ कारण बताया गया.
परवेज मुशर्रफ के खिलाफ ये मुकदमा पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने किया था. इस्लामाबाद की एक स्पेशल कोर्ट ने मार्च 2014 में देशद्रोह के मामले में मुशर्रफ को आरोपी बनाया था. परवेज मुशर्रफ के खिलाफ कुल 6 साल तक केस चला. अपने खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मामले पर हाल ही में मुशर्रफ ने कहा था-
अक्टूबर 1998 में परवेज मुशर्रफ पाकिस्तानी आर्मी के प्रमुख यानि जनरल बने. इसके बाद 1999 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्तापलट कर दिया. इसके बाद वे राष्ट्र प्रमुख बन गए. साल 2002 में वो बहुमत से चुनाव जीतकर पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए. परवेज मुशर्रफ पर आरोप लगते हैं कि उन्होंने चुनाव में जमकर धांधली की.
बाद में गठबंधन की सरकार ने मुशर्रफ पर महाभियोग लगाया और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उन्होंने कुछ वक्त के लिए पाकिस्तान छोड़ दिया. मुशर्रफ पर पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, बलूचिस्तान के नेता बुगती की हत्या के भी केस चले. अभी भी परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान से बाहर दुबई में रहते हैं और अपना इलाज करा रहे हैं.
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