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दुनिया भर में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया. इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दावा किया कि योग की उत्पत्ति भारत में नहीं, बल्कि उनके देश में हुई है. ओली ने अपने विवादास्पद दावे को भी दोहराया कि भगवान राम का जन्म नेपाल में हुआ था.
ओली ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर अपने संबोधन में कहा, "एक राष्ट्र के रूप में भारत के अस्तित्व से बहुत पहले, नेपाल में योग का अभ्यास किया जाता था और किया जाता रहा है."
ओली ने कहा कि हमने योग की खोज करने वाले अपने ऋषियों को कभी श्रेय नहीं दिया, हम हमेशा इस या उस प्रोफेसर और उनके योगदान के बारे में बात करते थे.
उन्होंने कहा, "हम अपना दावा ठीक से नहीं रख सके. हम इसे दुनिया भर में नहीं ले जा सके." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल के सबसे लंबे दिन पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव देकर इसे प्रसिद्ध किया.
ओली ने इससे पहले भी विवादित बयानबाजी की है. उन्होंने पहले यह कहकर विवाद छेड़ दिया था कि भगवान राम का जन्म भारत के अयोध्या में नहीं, बल्कि नेपाल के चितवन जिले में अयोध्यापुरी के नाम से पहचाने जाने वाले माडी क्षेत्र में हुआ था. उन्होंने भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और अन्य के विशाल मंदिरों के निर्माण का आदेश दिया था और वह अपने दावों पर कायम भी रहे.
ओली ने यह भी कहा कि नेपाल प्रसिद्ध संतों और पतंजलि, कपिलमुनि, चरक जैसे महर्षियों की भूमि है. नेपाली प्रधानमंत्री ने दावा किया कि कई अन्य संत नेपाल में पैदा हुए हैं, जिन्होंने सदियों से आयुर्वेद का अध्ययन और शोध किया. उन्होंने कहा, हिमालयी जड़ी बूटियों का अध्ययन बनारस (वाराणसी) से नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने दावा किया कि हिमालय में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों पर शोध के बाद उन्हें बाद में वाराणसी ले जाया गया.
ओली ने जोर देकर कहा, ये सभी ऐतिहासिक और धार्मिक तथ्य इतिहास में विकृत किए गए थे, लेकिन इन्हें ठीक करने की आवश्यकता है. हमें नया इतिहास फिर से लिखना होगा. हमें सच बोलने में संकोच नहीं करना चाहिए, क्योंकि हम तथ्यों और इतिहास को जानते हैं. इतिहास और सभ्यता को कोई तोड़-मोड़ या विकृत नहीं कर सकता.
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