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क्रेमलिन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 30 जून को एक टेलीफोन कॉल में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के साथ यूक्रेन की स्थिति और वैगनर समूह के विद्रोह पर चर्चा की.
क्रेमलिन ने एक बयान में कहा: "रूस में 24 जून की घटनाओं के संबंध में, नरेंद्र मोदी ने कानून और व्यवस्था की रक्षा, देश में स्थिरता और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रूसी राष्ट्रपति के कार्यों का समर्थन किया है."
इस बीच, नई दिल्ली ने एक बयान जारी किया और कहा कि PM मोदी को स्थिति से अवगत कराया गया और बातचीत और कूटनीति के अपने आह्वान पर फिर से जोर दिया गया.
टेलीफोन पर बातचीत रूसी नेतृत्व द्वारा येवगेनी प्रिगोझिन के नेतृत्व वाली वैगनर समूह (प्राइवेट आर्मी) द्वारा एक महत्वपूर्ण तख्तापलट के प्रयास को सफलतापूर्वक रोकने के तुरंत बाद हुई. इससे एक दिन पहले ही पुतिन ने मोदी को रूस का "बड़ा दोस्त" कहा था.
वैगनर समूह ने दक्षिणी रूस के दो प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया था, लेकिन क्रेमलिन द्वारा बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्सांद्र लुकाशेंको की मदद से प्रिगोझिन के साथ समझौता करने के बाद उन्होंने मास्को की ओर अपना बढ़ा कदम पीछे खींच लिया.
इसके बाद, प्रिगोझिन ने टेलीग्राम पर एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें रूसी नेतृत्व को उखाड़ फेंकने के किसी भी इरादे से इनकार किया गया. उन्होंने दावा किया कि मार्च का उद्देश्य न्याय मांगना था. विद्रोह के बाद, पुतिन के नेतृत्व को लेकर चिंताएं पैदा हो गई हैं, पश्चिमी शक्तियों का सुझाव है कि रूसी राष्ट्रपति को अब "अजेय" नहीं माना जा सकता है.
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