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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस साल के एससीओ शिखर सम्मेलन (SCO Summit) में भाषण दिया. पिछले महीने रूस में वैगनर समूह द्वारा विद्रोह के बाद किसी वैश्विक शिखर सम्मेलन में उनका यह पहला भाषण था. पुतिन ने शंघाई सहयोग संगठन की एक वर्चुअल मीटिंग के दौरान पश्चिमी प्रतिबंधों और "उकसावे" का विरोध करने के लिए रूस का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया, जिसमें चीन और भारत भी शामिल हैं.
उन्होंने समूह के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने के मॉस्को के इरादे पर जोर दिया और विदेशी व्यापार में स्थानीय मुद्रा निपटान में बदलाव के लिए समर्थन दिखाया. उन्होंने संघर्षों की बढ़ती संभावना और वैश्विक आर्थिक संकट के बढ़ते जोखिम के बारे में आगाह किया.
व्लादिमीर पुतिन ने कहा
इस साल के एससीओ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता भारत द्वारा की जा रही है और यह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा शुरू करने के कुछ ही सप्ताह बाद हो रहा है.
अपने संबोधन के दौरान, भारतीय प्रधान मंत्री ने सभी एससीओ सदस्य देशों से क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होने का आह्वान किया. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कुछ देश अपनी नीतियों के तहत सीमा पार आतंकवाद का सहारा लेते हैं और आतंकवादियों को पनाह दे रहे हैं.
उन्होंने कहा, "आतंकवाद पर कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए"
फूड, फ्यूल और उर्वरक से संबंधित प्रमुख चुनौतियों का भी समाधान किया गया. पीएम मोदी ने सभी देशों से इन मुद्दों से निपटने के लिए एक साथ आने का आग्रह किया.
बेलारूस की एससीओ सदस्यता के लिए दायित्व ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का भी पीएम मोदी ने स्वागत किया. उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि आज ईरान एक नए सदस्य के रूप में एससीओ परिवार में शामिल होने जा रहा है."
इस शिखर सम्मेलन के दौरान, एससीओ में बेलारूस को शामिल करने की पहल के लिए एक MOU पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं.
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने क्षेत्रीय शांति की रक्षा करने और आम सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया. स्टेट मीडिया ने बताया कि शी ने सदस्य देशों से सही दिशा का पालन करने, एकजुटता बढ़ाने और एक-दूसरे के बीच आपसी विश्वास को बढ़ावा देने का आग्रह किया.
इसके अलावा, शी ने एससीओ सदस्यों को क्षेत्र में आर्थिक सुधार में तेजी लाने के उद्देश्य से व्यावहारिक सहयोग को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया.
बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने वर्चुअल एससीओ शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में साइबर हमलों और डेटा चोरी के संबंध में बढ़ती चिंताओं पर जोर दिया. उन्होंने स्वीकार किया कि संगठन के सदस्य देश बढ़ती चुनौतियों और खतरों का सामना कर रहे हैं, जिनमें विनाशकारी साइबर हमले, डेटा चोरी और सूचना क्षेत्र में जानबूझकर फर्जी खबरों का प्रसार शामिल है.
लुकाशेंको ने इस क्षेत्र में सहयोग के लिए तत्परता व्यक्त की, विशेषज्ञ प्रशिक्षण, साइबर अभ्यास में संयुक्त परियोजनाओं और सहयोग के संभावित रास्ते के रूप में तकनीकी समाधानों के आदान-प्रदान पर प्रकाश डाला.
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