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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के बीच सिंगापुर में समझौते के बाद उत्तर कोरिया की ओर से अपने परमाणु मिसाइल कार्यक्रम को रोकने के संकेत दिए गए .बदले में ट्रंप ने कहा कि उत्तर कोरिया पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध यह देखते हुए धीरे-धीरे हटेंगे कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के लिए क्या कदम उठाता है.
सवाल ये है अमेरिका के पास परमाणु हथियारों का दूसरा बड़ा जखीरा है . फिर वह क्यों उत्तर कोरिया को परमाणु मिसाइल कार्यक्रम को रोकना चाहता है. दरअसल दुनिया में अब इतने अधिक परमाणु हथियार या बम हो चुके हैं कि इस होड़ को रोकना जरूरी हो गया है. लेकिन दिक्कत यह है कि रूस और अमेरिका इस होड़ को रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाते.
दुनिया के कई देशों का दावा है कि उनके पास परमाणु बम या वारहेड हैं. कुछ ने इसकी तैनाती की हुई. कुछ ने इसे जमा कर रखा है और कुछ जरूरत पड़ने पर इसे बना सकते हैं या इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर किसी बड़े शहर पर एक परमाणु बम गिरा दिया जाए तो लाखों लोगों की मौत हो सकती है और दशकों तक इसका असर रह सकता है.
इंटनेशनल कैंपेन टु एबोलिश न्यूक्लियर वेपन्स यानी ICAN के मुताबिक दुनिया के नौ देशों के पास 15,000 न्यूक्लियर बम है. अकेले अमेरिका और रूस के पास 14000 न्यूक्लियर बम हैं और वो भी हाई अलर्ट स्टेटस में. यानी मिनटों की चेतावनी के बाद ही उन्हें दागा जा सकता है. इनमें से कई जापान में 1945 में अमेरिका की ओर से गिराए गए परमाणु बमों से भी ज्यादा पावरफुल हैं. अगर किसी बड़े शहर पर एक परमाणु बम गिरा दिया जाए तो लाखों लोगों की मौत हो सकती है और दशकों तक इसका असर रह सकता है.
परमाणु हथियारों से लैस देशों के नेताओं ने न्यूक्लियर फ्री वर्ल्ड पर अपना नजरिया पेश किया है लेकिन अपने हथियारों को नष्ट करने का वे कोई प्लान पेश नहीं कर पाए हैं. उल्टे वे इसका मॉर्डनाइजेशन कर रहे हैं. आइए देखते हैं. दुनिया में किन देशों के पास कितने परमाणु हथियार हैं.
अमेरिका परमाणु हथियार विकसित कर युद्ध में इसका इस्तेमाल करने वाला पहला देश. दुनिया में परमाणु हथियारों से लैस देश मिल कर जितना खर्च परमाणु हथियार पर करते हैं उससे ज्यादा अमेरिका अकेले करता है. ICAN के मुताबिक अमेरिका का पास 6,800 न्यूक्लियर वारहेड्स हैं. वारहेड्स ऐसे न्यूक्लियर बम होते हैं जिन्हें मिसाइल के सिरे पर लगा कर दागा जा सकता है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट, बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट, वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट और फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट की रिपोर्ट में भी अमेरिका के पास इतने ही वारहेड्स होने की पुष्टि की गई है.
रूस दूसरा बड़ा देश है, जिसने न्यूक्लियर हथियार विकसित किए हैं. इसके जखीरे में सबसे ज्यादा एटम बम हैं. रूस अपने न्यूक्लियर वारहेड और डिलीवरी सिस्टम के मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम पर काफी खर्च कर रहा है. आईकैन, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट, बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट, वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट और फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके पास 7000 न्यूक्लियर वारहेड हैं.
यूनाइटेड किंगडम के पास परमाणु हथियारों से लैस चार पनडुब्बियों का बेड़ा है, जो स्कॉटलैंड में तैनात है. हर पनडुब्बी पर 16 ट्रिडेंट मिसाइलें तैनात हैं. 2016 में यूके की संसद में परमाणु ताकत को और बढ़ाने के पक्ष में वोटिंग हुई. आईकैन, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट, बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट, वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक इसके पास 215 न्यूक्लियर वॉरहेड हैं.
चीन का जखीरा रूस और अमेरिका से छोटा है. चीन जमीन और समुद्र में तैनात मिसाइलों से परमाणु बम दाग सकते है. हवा में मार करने वाली मिसाइलों से भी परमाणु बम दाग सकता है. इसके पास 270 न्यूक्लियर वॉरहेड हैं और ऐसा लगता है कि वह अपना जखीरा बरामद बढ़ा रहा है.
भारत ने एनपीटी का उल्लंघन कर अपना परमाणु कार्यक्रम विकसित किया है. आईकैन, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट, बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट, वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट और फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक यह अपना जखीरा बढ़ा रहा है और इसके बाद 110 से 120 वॉरहेड हैं. यह परमाणु हथियार दागने की क्षमता भी बढ़ा रहा है.
न्यूक्लियर हथियारों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में यह काफी मजबूत हो चका है. रिपोर्टों के मुताबिक इसके बाद 120-130 परमाणु बम हैं. पाकिस्तान अपने परमाणु ताकत को इंटरनेशनल फोरम पर छिपाता रहा है.
इस्राइल न तो अपने यहां परमाणु हथियार होने की पुष्टि करता है और न ही इसे नकारता है. उसके परमाणु हथियारों के जखीरे के बारे में काफी कम जानकारी है फिर भी रिपोर्टों के मुताबिक उसके पास 80 परमाणु बम हो सकते हैं.
उत्तर कोरिया के जखीरे में 10 से कम परमाणु बम हो सकते हैं. हालांकि यह साफ नहीं है कि वह परमाणु हथियारों से लैस मिसाइलों को दागने की क्षमता विकसित कर सका है या नहीं
इन देशों के अलावा बेल्जियम, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड और तुर्की नाटो न्यूक्लियर शेयरिंग प्रोग्राम के तहत अमेरिका के परमाणु हथियार रखते हुए हैं. अल्बानिया, ऑस्ट्रेलिया, बेलारूस, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, ग्रीस हंगरी. आइसलैंड, जापान, लातिविया, लिथआनिया, लक्जमबर्ग, मोटेंनेग्रो, नॉर्वे, पौलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन न्यूक्लियर अलांयस में शामिल हैं. न्यूक्लियर अलायंस में शामिल देश परमाणु हथियार संपन्न देशों से सुरक्षा पाने के हकदार होते हैं.
( इस लेख का ज्यादातर हिस्सा International campaign to abolish nuclear arms और Stockholm international peace research institute की रिपोर्ट पर आधारित है. International campaign to abolish nuclear arms को 2017 का नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है)
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