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विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने शुक्रवार, 1 अप्रेल को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) के साथ बातचीत की, जबकि एक दिन पहले ही अमेरिका ने मास्को के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों को "रोकने" के प्रयासों के परिणामों की चेतावनी दी थी.
ये बातचीत रूस से अधिक मात्रा में रियायती तेल खरीदने को लेकर हुई और दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार के लिए रूबल-रुपये की व्यवस्था करने के इच्छुक हैं.
उन्होंने आगे सुरक्षा चुनौतियों के मामले में भारत का समर्थन कैसे कर सकते हैं इस पर कहा, बातचीत में उन संबंधों की विशेषता है जो हमने कई दशकों तक भारत के साथ विकसित किया है. संबंध रणनीतिक साझेदारी हैं ... यह वह आधार था जिस पर हम सभी क्षेत्रों में अपने सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं.
जब रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से जब पूछा गया कि क्या भारत पर अमेरिकी दबाव भारत-रूस संबंधों को प्रभावित करेगा तो उन्होंने कहा, मुझे कोई संदेह नहीं है कि कोई दबाव हमारी साझेदारी को प्रभावित करेगा ... वे (अमेरिका) दूसरों को अपनी राजनीति का पालन करने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा, आप इसे युद्ध कह रहे हैं जो सच नहीं है. यह एक विशेष ऑपरेशन है, इसमें यूक्रेन के सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य ये है कि रूस को कीव से किसी भी तरह का कोई खतरा न हो.
भारत के रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ बनने की संभावना पर रूसी विदेश मंत्री ने कहा, भारत महत्वपूर्ण देश है. यदि भारत उस भूमिका को निभाना चाहता है जो समस्या का समाधान हो सकता है...यदि भारत अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के लिए न्यायसंगत और तर्कसंगत दृष्टिकोण के साथ है, तो वह ऐसी प्रक्रिया का समर्थन कर सकता है.
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