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रूस -यूक्रेन जंग (Russia Ukraine War) में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) अपनी झूठी शान की खातिर देश के शहीदों के अपमान से भी बाज नहीं आ रहे हैं. वह रूस (Russia) को यूक्रेन (Ukraine) से कमजोर साबित नहीं होने देना चाहते हैं. इसके लिए वह देश की खातिर जान देने वाले शहीद सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान पर भी पर्दा डालने से नहीं चूक रहे हैं. रूस ने यूक्रेन के साथ जंग (Russo Ukrainian War) में खुद को मजबूत दिखाने के लिए एक स्टेट सीक्रेट प्लान तैयार किया है. जिसके अंतर्गत इस युद्ध में शहीद होने वाले रूसी सैनिकों के मौत के वास्तविक आंकड़े को अब जाहिर नहीं होने दिया जाएगा.
इस प्लान के तहत रूसी रक्षा मंत्रालय ने सैनिकों की मौतों को छुपाने के निर्देश जारी किए हैं. इसके अंतर्गत युद्ध में मारे गए सैनिकों के परिवार वाले शहीद सैनिक के नाम, पद आदि की कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते. उनके मुआवजे का क्लेम करने, उससे संबंधित किसी कानूनी कार्रवाई, पेपर वर्क या किसी अन्य जानकारी को लेकर वे किसी सिविल अथॉरिटी के पास नहीं जा सकते, क्योंकि इससे उस सैनिक के जंग में मरने की जानकारी सार्वजनिक हो जाएगी.
इसके लिए रूसी रक्षा मंत्रालय बाकायदा एक प्रस्ताव लाया है, जिसके अनुसार मृत सैनिक के परिजनों को दिए जाने वाले किसी भी आर्थिक लाभ की मॉनिटरिंग या कागजी कार्यवाही कोई गैर सैन्य अधिकारी नहीं कर सकेगा.
यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ रूसी सेना के अधिकारियों व सैन्य कार्यालय द्वारा ही की जाएगी. रूस के रक्षा मंत्रालय द्वारा तैयार इस प्रस्ताव को रशियन गवर्नमेंट लीगल इंफॉर्मेशन वेबसाइट पर अपलोड भी कर दिया गया है. इस कदम का सीधे-सीधे उद्देश्य यही है कि यूक्रेन से जंग में मारे गए रूसी सैनिकों की जानकारी को सार्वजनिक ना होने दी जाए.
रूस की ओर से अपने शहीदों की शहादत को मान्यता ना देने का यह कोई पहला उदाहरण नहीं है. इससे पहले भी शीतयुद्ध और शांति काल के दौरान रशियन आर्मी के अभियानों में मारे गए सैनिकों के आंकड़ों पर वह अपने दोस्त चीन की तरह पर्दा डालता रहा है. रूस की ओर से अपनी इस नीति को स्टेट सीक्रेट नाम दिया गया है.
पश्चिमी देशों की मीडिया की ओर से जारी कई रिपोर्ट्स के अनुसार रूस के कई हजार सैनिक इस लड़ाई में मारे गए और घायल हुए हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने तो हाल ही में अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन को दिए इंटरव्यू में दावा किया था कि रूस के साथ जंग में जितने यूक्रेन के सैनिक शहीद हुए है, उससे 6-7 गुना ज्यादा रूस के सैनिकों की जान गई है. बकौल जेलेंस्की 3000 यूक्रेनी सैनिकों की मौत हुई है, वहीं 19-20 हजार तक रूसी सैनिकों की मौत हुई है.
इतने दिन की जंग से रूस की अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लगा है. दुनियाभर के देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं.
रूस में वास्तविक हताहतों की संख्या के बारे में नाटो अधिकारियों का दावा है कि इस जंग में 40,000 से अधिक रूसी सैनिक या तो मारे गए हैं या घायल हो गए हैं. इसके अलावा एक बड़ी संख्या में सैनिक युद्ध कैदी के रूप में पकड़ लिए गए हैं. उनके अनुसार 7,000 से 15,000 के बीच मौतों की तो पुष्टि भी की जा सकती है.
अगर नाटो के इस आंकड़े को सच माना जाए तो ये संख्या द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों के खिलाफ लड़ रही मित्र देशों की सेना द्वारा हर माह औसत हताहत किए जाने वाले सैनिकों की संख्या से दोगुनी है. भले ही रूसी सेना विशाल हो, पर अपने से अपेक्षाकृत छोटे विरोधी से वे जो भारी प्रहार खा रही है, वह रूस के लिए चिंता का विषय होना चाहिए.
रूस के इस सीक्रेट प्लान को हाल ही में वायरल हुए 'घोस्ट बसों' के वीडियोज बल दे रहे हैं. एक वीडियो में दिख रहा है कि हजारों मृत सैनिकों को लेकर कई बसें यूक्रेन से रूस की ओर रवाना की जा रही हैं. इन बसों पर रूसी प्रतीक चिन्ह लगे हैं. इनकी खिड़कियां ढंकी हुई हैं. मीडिया और रूस के लोगों की निगाहों से छुपाकर मृत सैनिकों के शवों को कहीं भेजा जा रहा है.
इस देश की कई मांओं की कहानियां सामने आ रही हैं जिन्होंने यह आश्वस्त होकर अपने बच्चों को जंग में भेजा कि वे सिर्फ एक सैन्य अभ्यास के लिए यूक्रेन जा रहे हैं, पर अब वे लापता की श्रेणी में आ गए हैं. वे जिंदा हैं या मृत किसी को पता नहीं है.
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