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खाड़ी देशों में नए साल की शुरुआत एक नई व्यवस्था से हुई. लंबे समय तक टैक्स फ्री कहे जाने वाले खाड़ी देशों में सोमवार से वैल्यू एडेड टैक्स यानी VAT सिस्टम शुरू किया गया है. इसे लागू करने वालों में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सबसे पहले हैं. बता दें कि चार और खाड़ी देश बहरीन, कुवैत, ओमान और कतर भी वैट लगाने के लिए तैयार हैं लेकिन वह इस पर अगले साल तक निर्णय लेंगे.
बीबीसी की खबर के मुताबिक, राजस्व को बढ़ाने के लिए ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं पर 5 फीसदी टैक्स लगाया गया है. खाने, कपड़े, पेट्रोल, फोन, पानी और बिजली के बिलों के साथ ही होटलों में बुकिंग पर वैट लगाया गया है.
कुछ चीजों को टैक्स फ्री रखा गया है, जिसमें चिकित्सा इलाज, वित्तीय सेवाएं और सार्वजनिक परिवहन शामिल हैं. संयुक्त अरब अमीरात ने पहले साल में वैट से करीब 3.3 अरब डॉलर आय का अनुमान लगाया है. शूरा परिषद के एक सदस्य मोहम्मद अल खुनैजी ने कहा, "वैट लागू करने का उद्देश्य सऊदी सरकार के टैक्स को बढ़ाना है, ताकि बुनियादी ढांचे और विकास कार्यो के लिए खर्च किया जा सके." सऊदी अरब में 90 फीसदी से ज्यादा बजट रेवेन्यू तेल उद्योग से प्राप्त होता है, जबकि यूएई में यह करीब 80 फीसदी है. दोनों देशों ने सरकारी खजाने को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं.
सऊदी अरब में तम्बाकू और शीतल पेय के साथ-साथ स्थानीय लोगों को दी जाने वाली कुछ सब्सिडी में कटौती की गई है. इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात में पर्यटन कर पेश किया गया है. लेकिन दोनों देशों में आयकर पेश करने की कोई योजना नहीं है. दोनों देशों में ज्यादातर निवासी अपनी कमाई पर किसी टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं.
ये इन देशों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव है. दुबई ने एक लंबे वार्षिक शॉपिंग फेस्टिवल का आयोजन किया है जिसका मकसद दुनियाभर से लोगों का अपने खुदरा बिक्री स्थानों या मॉलों में आमंत्रित करना है. सऊदी अरब ने भी विशेष खातों में अरबों डॉलर जमा कराएं हैं ताकि खुदरा कीमतों से बढ़ने वाली कीमतों से प्रभावित जरूरी नागरिकों की मदद की जा सके.
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